बिहार के हर जिले की अधिसंख्य छोटी नदियां सूख गई हैं। इसका असर अपेक्षाकृत बड़ी नदियों पर भी पड़ा है। महानन्दा के बाद बागमती और कमला की धाराएं भी जगह-जगह सूख गई हैं। पुराने समय में सदानीरा कहलाने वाली गंडक में भी कई स्थलों पर इतना कम पानी बचा है कि लोग पैदल टहलते हुए पार कर जाते है। बिहार की नदियों की इस दुर्द’शा का असर गंगा पर भी दिख रहा है। बरसात के दिनों में भले इन नदियों में पानी जमा हों लेकिन उसके बाद पानी कम ही मिलता है।
राज्य में सूचीबद्ध नदियों की संख्या लगभग 150 है। बताया जाता है कि इनमें 25 प्रतिशत नदियां पूरी तरह सूख गई हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जल आधिक्य वाला प्रदेश माने जाने वाले बिहार में अभूतपूर्व जल संक’ट की हालत है। तकरीबन सभी जिलों में संक’ट है। सरकारी प्रयास से भूजल में थोड़ा सुधार भले हुआ है, लेकिन तीन साल पहले चापाकल और नलकूप फेल होने लगे थे।
सदाबहार नदी महानंदा की धाराओं के सूखने से बिहार का पूर्वी सीमांचल भीष’ण जलसं’कट झेल रहा है। बारसोई के निकट यह नदी सूख गई है। बारसोई के बाद मेची और कंकई नदियों का पानी मिलने से महानन्दा की धारा जीवित तो हो जाती है, लेकिन इससे भी धारा में तेजी नहीं आती। उत्तरी छोर पर हिमालय से आने वाली नेपाल की सबसे बड़ी नदी नारायणी यानी गंडक में पूजहां-पटजिरवा के पास इतना कम पानी हो गया है कि लोग पैदल नदी पार कर रहे हैं।
सूखी नदियों की गिनती करें तो चम्पारण के बेतिया में चन्द्रावत और मोतिहारी में धनौती तो वर्षों से सूखी नदियों में शामिल हैं। मुजफ्फरपुर में लखनदेई, डंडा, मानुषमारा, नून, बाया और कदाने नदी सूख चुकी हैं। कदाने और नून नदी सकरा प्रखंड के बगल से बहती हैं। उनके सूखने से उस प्रखंड में भूजल की स्थिति बहुत खराब हो गई है। मधुबनी में जीवछ नदी सूख गई है। जीवछ के सूखने से इससे जुड़ी कोशी और कमला नहरों में पानी नहीं रहने से जिले में जलसंकट गहरा गया है।
समस्तीपुर में बूढ़ी गंडक में पानी काफी घट गया है। यही हाल बलान, बागमती व जमुआरी के अलावा नून और बाया नदियों का है। सीवान की प्रमुख नदी दाहा के सूख जाने की आशंका गहराने लगी है। मैरवा के पास झरही और बसंतपुर में धमही नदी सूखने के कगार पर है। नबीगंज में घोघारी नदी सूख गई है।
भोजपुर जिले में सोन नदी का जलस्तर कम हो गया है। इस वजह से सोन नहरों में पानी नहीं है। भागलपुर में गंगा की सहायक नदियां कौआ, भैना, गेरुआ, घोघा, लैलख, जमुनिया आदि पूरी तरह सूख गई हैं। खगड़िया में उत्तर बिहार की तकरीबन सभी नदियों -गंगा, कोसी, बागमती, बूढ़ी गंडक, कमला का पानी आता है। पर इन सभी का जलस्तर एक से डेढ़ मीटर कम हो गया है जिससे पूरे जिले में जलसंकट है। बांका में चांदन नदी सूख गई है। जिले से बहने वाली सुखनिया, चीर, ओढ़नी, बडुआ, गहेरा, गेरुआ आदि नदियां भी सूख गई हैं। चानन नदी में नवी नगर के पास थोड़ा बहुत पानी बचा है। लोग बालू खोदकर पानी निकाल रहे हैं।
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