मखान व मछली के लिए मिथिला मशहूर नहीं है, यहां के आम की मिठास भी प्रसिद्ध है. इस बार बगीचों में गदराये मंजर के बाद टिकोलों से लदे पेड़ देख इतरा रहे किसान अचानक बहुतायत संख्या में इसके झड़ने से मायूस दिखने लगे हैं. बगीचों में झड़े फल कलेजा फट रहा है.

हालांकि, टिकोलों को बचाने के लिए किसान अभी भी जद्दोजहर कर रहे हैं. आसपास के कीटनाशी विक्रेताओं की सलाह पर दवाओं का छिड़काव कर रहें हैं, पर उससे कोई फायदा नहीं दिख रहा है.

मनीगाछी प्रखंड की चनौर पंचायत के किसान डोमू सिंह ने बगीचा में झड़े फल दिखाते हुए कहा कि लगातार तीन बार मंजर निकलने से अब तक विभिन्न दवाओं का छिड़काव कर चुके हैं, लेकिन तेजी से गिर रहे फल को देख ऐसा लग रहा है कि इस बार एक भी आम पेड़ में नहीं रह पायेगा. लोग रसीले आम की मिठास से वंचित रह जायेंगे.

आम उत्पादक बौआ कुजरा, राजू मुखिया, बिन्दे सहनी आदि ने कहा कि विगत दो-तीन साल से आम की फसल में फल छेदन नाम की बीमारी के प्रकोप से किसान परेशान थे. इस बार हुई बेमौसम वारिश के बाद अचानक फल झड़ने लगे हैं.


इन लोगों का कहना है कि बचाव के लिए कृषि या उद्यान विभाग से कोई उपचारात्मक प्रयास अब तक नहीं किया गया है. कई किसानों ने कहा कि इस बार आम के मंजर पर दवा छिड़काव के लिए उद्यान विभाग से ऑनलाइन आवेदन लिया गया, लेकिन अभी तक छिड़काव के लिए कोई नहीं आया.


जाले कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक प्रदीप विश्वकर्मा ने बताया कि आम के फल को झड़ने से बचाने के लिए किसान प्लानोफिक्स दवा का छिड़काव करें. कुछ दिनों के अन्तराल पर पेड़ की जड़ों में पानी डालें. इससे समस्या काफी हद तक कम हो जायेगी.

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