सबौर कृषि विज्ञान केंद्र सबौर में केला के फसल में रोग की रोकथाम और प्राथमिक उपचार के लिए किसानों एवं वैज्ञानिकों के बीच कार्यशाला का आयोजन किया गया।

वर्ष 2023 में कृषि विज्ञान केंद्र सबौर द्वारा फाॅर्म ट्रायल के अंतर्गत आइसीएआर फ्यूजीकांट ट्राइकोडर्मा को कुछ चयनित किसानों ने इसका सफल ट्रायल किया।

इन किसानों ने ट्रायल के अंतर्गत प्रारंभिक अवस्था में केला लगाते समय पौधे एवं गड्ढे का उपचार किया। बताया गया कि इसमें 200 लीटर पानी में चार किलोग्राम आइसीएआर फ्यूजीकांट, आधा किलोग्राम गुड़ मिलकर 72 घंटे तक इसे लगातार चलाते रहते हैं।

इन सभी कार्यों का संपादन छाया वाले स्थान में करना चाहिए। घोल तैयार होने के बाद पौधा को इस घोल में डूबा कर रखते हैं। पुनः केला लगाने के बाद घोल को गड्ढे में भी प्रवाहित करते हैं।

बताया कि ध्यान रखना है कि इसे किसी भी प्रकार के रासायनिक उर्वरक एवं रसायन के साथ प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। अगर किसान रासायनिक उर्वरक एवं रसायन का प्रयोग करते हैं तो कम से कम 15 दोनों का अंतराल रखना चाहिए।

स्टाइल की देखभाल के लिए आइसीएसएच के निदेशक डॉ. टी दामोदरन ने किसानों के साथ समय-समय पर जूम मीटिंग के जरिए जुड़ते हैं। किसानों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।

भागलपुर में केला का उत्पादन मुख्यतः खरीक, नवगछिया, गोपालपुर, बिहपुर में बड़े पैमाने पर हो रही है। यह ट्रायल पनामा बेल्ट से परेशान किसानों के लिए एक बहुत बड़ी औषधि के रूप में देखा जा रहा है।
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