मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर बिहार की यात्रा पर निकल पड़े हैं। सीएम नीतीश ने गुरुवार को पश्चिमी चंपारण जिले के दरुआबारी गांव से अपनी समाधान यात्रा की शुरुआत की। खास बात ये है कि नीतीश कुमार इस यात्रा के दौरान कोई बड़ी रैली नहीं करेंगे, भाषण नहीं देंगे। उनकी पिछली यात्राओं के मुकाबले यह यात्रा काफी अलग रहने वाली है।
नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ सत्ता में आने के बाद से बीजेपी कानून व्यवस्था और शरा’बबंदी समेत अन्य मुद्दों पर उन पर सवाल उठा रही है। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव से पहले समाधान यात्रा जेडीयू के लिए काफी अहम मानी जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा फरवरी तक चलेगी।
कैबिनेट सचिवालय ने फिलहाल 29 जनवरी तक का शेड्यूल जारी किया है। इस दौरान सीएम नीतीश 16 दिनों में 18 जिलों का दौरा करेंगे। यात्रा की शुरुआत पश्चिमी चंपारण जिले से हुई है। यहां से वे शिवहर, सीतामढ़ी, वैशाली, सीवान, सारण, मधुबनी, दरभंगा, सुपौल,सहरसा, अररिया, किशनगंज, कटिहार, खगड़िया, बांका, मुंगेर, लखीसराय और शेखपुरा जिले में जाएंगे। फरवरी का शेड्यूल बाद में जारी होगा।
समाधान यात्रा ही क्यों?
नीतीश कुमार मुख्यमंत्री रहते हुए पहले भी बिहार में कई यात्राएं निकाल चुके हैं। हर बार यात्रा की थीम खास होती है। इस बार उन्होंने अपनी यात्रा का नाम ‘समाधान’ दिया है। सीएम नीतीश ने बताया कि यात्रा के दौरान वे जगह-जगह जाकर सरकारी योजनाओं की वास्तविक स्थिति का जायजा लेंगे। वे देखेंगे कि योजनाओं का फायदा वाकई धरातल पर मिल रहा है या नहीं। वे जनता से बात कर उनकी समस्याओं को जानेंगे और फिर उनका समाधान करेंगे। इस दौरान वे शराबबंदी को लेकर भी फीडबैक लेंगे।
2024 चुनाव से पहले जेडीयू के लिए नीतीश की यात्रा के मायने
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल अगस्त में बीजेपी का दामन छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाई थी। इसके बाद से बीजेपी उनपर हमलावर है। बीजेपी का दावा है कि आरजेडी के साथ नीतीश के सत्ता में आने के बाद से बिहार में जंगलराज की वापसी हो गई है। अप’राधी बेखौफ होकर लू’ट, ह’त्या जैसी वा’रदातों को अंजाम दे रहे हैं। कानून व्यवस्था के साथ ही शरा’बबंदी को लेकर भी विपक्ष सीएम पर हम’लावर है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस छवि को सुधारने के लिए यात्रा पर निकले हैं।
इस बीच सीएम नीतीश कुमार की नजर लोकसभा चुनाव 2024 पर टिकी है। वे देशभर की विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने का संकल्प ले चुके हैं। जेडीयू नेता उन्हें पीएम कैंडिडेट के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं। इसके लिए जेडीयू खुद को मजबूत करने में जुटी है। नीतीश की समाधान यात्रा के जरिए जेडीयू कार्यकर्ताओं में जोश बढ़ेगा। सियासी जानकारों के मुताबिक नीतीश पहले अपनी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं, इसके बाद राष्ट्रीय राजनीति की ओर बढ़ेंगे।
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