गर्मी के मौसम की खासियत है आम का आगमन, जिसका बेसब्री से लोगों को इंतजार रहता हैं। लेकिन इस साल भी आम के शौकीनों को फलों के राजा का स्वाद चखने के लिए ज्दाया पैसा चुकाना पड़ेगा। बिहार में मुख्य रूप से लंगरा मालदह, जरदालु, सिपिया, दशहरी, आम्रपाली, बथुरा आम की खेती होती है।
जानकारी के अनुसार, बिहार में आम के मंजर पर मौसम की मा’र पड़ी है। आम के पेड़ों पर पिछले साल की तुलना में पचास से साठ फीसदी मंजर ही दिख रहे हैं। विशेषज्ञ लगातार बारिश और ठंड का मौसम देर तक रहने को इसका कारण बता रहे हैं।इसका असर आम की उत्पादकता पर पड़ना तय है। ऐसे में बाजार में आम की कीमत भी गत वर्ष की तुलना में ज्यादा रहेगी। पिछले साल की अपेक्षा आम के पेड़ में कम मंजर लगने से किसानों की चिं’ता बढ़ गई है। ऊपर से कीट का प्रको’प भी दिख रहा है। ऐसे में किसानों को आर्थिक नुक’सान का ड’र स’ताने लगा है। यही कारण है कि प’रेशान किसान कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क कर रहे हैं।
राज्य के भागलपुर सहित पूरा कोसी क्षेत्र, गोपालगंज, सीवान, वैशाली सहित ज्यादातर इलाकों के किसानों ने इसकी शिकायत की है। कैमूर के किसान ने कहा कि पिछले साल दो लाख के आम बेचे थे। लेकिन, इस साल लगता है 60-70 हजार का भी आम नहीं होगा।कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि मंजर के लिए 20-22 डिग्री सेल्सियस तापमान रहना चाहिए। प्रधान वैज्ञानिक अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना सह निदेशक अनुसंधान डॉ. एसके सिंह बताते हैं कि इस बार मध्य फरवरी तक तापमान 15 डिग्री के आसपास ही रहा। फरवरी अंतिम सप्ताह में जाकर अनुकूल तापमान हुआ। इस कारण कम मंजर आए हैं।
ख़बरों के मुताबिक, सीवान में 40 से 45 फीसदी आम के पेड़ों पर मंजर नहीं आए हैं। गोपालगंज में करीब 50 फीसदी मंजर आए हैं। भोजपुर, नवादा व सारण जिले में भी मंजर इस बार पिछले साल की तुलना में कम आये है। नालंदा में कमजोर पेड़ों में मंजर लगे हैं, जिसके झड़ने की पूरी आशंका है। इससे बागान मालिक मायूस हैं। भारत में आम की खेती 2258 हजार हेक्टेयर में होती है, कुल 21822 हजार मीट्रिक टन उत्पादन होता है। भारत में आम की उत्पादकता 9.7 टन/हेक्टेयर है। राज्य में 149 हजार हेक्टेयर में आम का उत्पादन 2443 हजार टन होता है। राज्य में आम की उत्पादकता 16. 37 टन/हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
वैशाली जिले में पातेपुर का सुक्की गांव आम के लिए मशहूर है। यहां 1200 हेक्टेयर में किसान आम की कई किस्में लगाई गई हैं। 40-50 बीघे में फैले जिन किसानों के बाग हैं, उन्होंने बताया कि 60 फीसदी मंजर ही आया है। रोहतास में 228 हेक्टेयर में आम का बगीचा है। यहां भी कम मंजर आये हैं।
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