मछली पालन के क्षेत्र में अब जीविका दीदियां भी आ गयी है. मड़वन के फंदा गांव की सात महिलाओं द्वारा शुरू किये गये सफर की सफलता के बाद अब पूरे जिले में मछली पालन की तैयारी की जा रही है.

विभिन्न समूह से जुड़ी महिलाएं इसके लिये आगे आ रही हैं. इन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है और इसके लिये इक्रोसेव और बिल गेट्स फाउंडेशन दीदियों का सहयोग कर रहा है. बैंक भी इन्हें ऋण उपलब्ध करा रहा है. मछली पालन जीविका दीदियों के लिए आय का एक स्थिर स्रोत बन गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधर रही है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं.


इस कारोबार से ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधर रही है. एक समय था जब जिले में मछली की खपत को पूरा करने के लिए आंध्र प्रदेश से मछली मंगानी पड़ती थी, लेकिन अब मुजफ्फरपुर न केवल मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है, बल्कि दूसरे जिलों को भी मछली की आपूर्ति कर रहा है.


बीते दो वर्षों में जिले में मछली उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है. पिछले साल जिले में मछली का उत्पादन 40.50 हजार मीट्रिक टन था, जो इस साल बढ़कर 41 हजार मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जबकि जिले की कुल खपत 39.25 हजार मीट्रिक टन है. तालाबों की संख्या में इजाफा, उत्पादन में वृद्धि जिले में मछली पालन के लिए तालाबों की संख्या तेजी से बढ़ रही है.


मत्स्य विभाग के अनुसार, जिले में फिलहाल 3700 लोग मछली पालन कर रहे हैं. इनमें से 2000 निजी तालाब और 1552 सरकारी तालाब हैं. प्रखंड स्तर पर भी लोग मछली पालन को लेकर आगे आ रहे हैं. मत्स्य विभाग न केवल प्रशिक्षण दे रहा है, बल्कि तालाबों के निर्माण में भी लोगों की मदद कर रहा है. प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मछली पालन के लिए 60 फीसदी तक अनुदान दिया जा रहा है, जिससे महिलाएं इस कारोबार से जुड़ रही हैं.


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