हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली पर्व मनाया जाता है। होली का सबसे खास पहलू यह है कि यह जाति, धर्म और वर्ग से परे सभी को एक साथ लाने का काम करता है। होली का त्योहार रंगों के साथ खुशियां लेकर आता है। इस दिन लोग आपस में रंग लगा कर, नाचते-गाते हैं और स्वादिष्ट मिठाईयां बांटते हैं।

होली से जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं भी हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा भक्त प्रह्लाद और उसके पिता हिरण्यकशिपु की है। राक्षस राजा ने अपने पुत्र की भक्ति से परेशान होकर उसे मारने के कई प्रयास किए, लेकिन वह अपनी भक्ति के प्रभाव से बचता रहा।

अंततः हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका से प्रह्लाद को जलाने के लिए कह, जिसके पास आग में ना जलने की सिद्धि थी। लेकिन जब वह प्रह्लाद को लेकर आग में बैठी, तो स्वयं जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। इस कथा को बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में देखा जाता है और होली के त्योहार और होलिका दहन को इससे जोड़कर देखा जाता है। अजमेर में एक-दूसरे पर टमाटर फेंक कर होली मनाई गई। डूंगरपुर में लोग होली की आग पर नंगे पांव चलते रहे।



Be First to Comment