बिहार सरकार ने जो फैसला लिया है उसके मुताबिक राज्य में ढाबा खोलने पर 50 लाख रुपए तक का अनुदान मिलेगा. दरअसल बिहार सरकार के पर्यटन विभाग ने उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के रास्ते बिहार में प्रवेश करते ही सड़क किनारे लग्जरी ढाबा, रेस्तरां की सुविधा देने की एक व्यापक योजना बनाई है. इसके तहत पर्यटन विभाग अगले 3 सालों में पर्यटन केंद्रों को जोड़ने वाली सभी सड़कों पर 150 से अधिक लग्जरी ढाबा-रेस्तरां और सुविधा केंद्र खोलेगा.
विभाग द्वारा पर्यटन केंद्रों तक जाने वाले 23 मार्गों को चिन्हित कर लिया गया है. इसमें उत्तर प्रदेश के वाराणसी, गोरखपुर और कुशीनगर को जोड़ने वाली सड़कों पर विशेष ध्यान दिया गया है. पर्यटन विभाग ने फैसला लिया है कि इन 23 रूटों पर 40 प्रीमियम और स्टैंडर्ड सुविधा से लैस ढाबा-रेस्तरां खोले जाएंगे, जबकि 60 बुनियादी सुविधा वाले ढाबा-रेस्टोरेंट भी खोलने की योजना है. पहले से चल रहे 60 ढाबा रेस्तरां को बेहतर सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा. इसके लिए पर्यटन विभाग द्वारा निजी निवेशकों और संचालकों को 10 लाख से लेकर 50 लाख तक का अनुदान भी दिया जाएगा.
पर्यटकों की सुविधा के लिए पूर्व-पश्चिम गलियारा के रूप में चिन्हित किए गए गोपालगंज-मुजफ्फरपुर -दरभंगा-सुपौल-पूर्णिया-किशनगंज रुट पर सबसे अधिक 18 लग्जरी ढाबा स्थलों जैसे सुविधा केंद्र खोले जाएंगे. यह रुट सर्वाधिक लंबा है जो यूपी की सीमा से शुरू होता है और बंगाल तक जाता है. इसमें तीन प्रीमियम और स्टैंडर्ड और 4 बेसिक सुविधा वाले ढाबा-रेस्तरां खोले जाएंगे, वहीं पहले से संचालित 9 ढाबा रेस्तरां को सुविधा युक्त बनाया जाएगा.
मधुबनी-सुपौल-अररिया-किशनगंज रोड पर 12 और भागलपुर-बांका-जमुई और वैशाली-सारण-सीवान- गोपालगंज रूट पर 11-11 लग्जरी सुविधा केंद्र खोलने की योजना है. पटना-आरा-रोहतास -मोहनियां, मुजफ्फरपुर-मोतिहारी और बख्तियारपुर-बिहारशरीफ-रजौली रूट में 10-10 लग्जरी सुविधा केंद्र खोलने की योजना है. पर्यटन विभाग ने तय किया है कि इस तरह की योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक निवेशक पर्यटन विभाग को आवेदन देंगे. जिन आवेदकों के पास ढाबा-रेस्तरां के लिए सड़क किनारे अपनी जमीन उपलब्ध होगी, उन्हें ज्यादा रियायत दी जाएगी.
मार्गीय सुविधा प्रस्तावों के मूल्यांकन और समीक्षा के लिए बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में 7 सदस्यीय कमेटी बनाई जाएगी जो इस पर अंतिम फैसला लेगी. संबंधित जिलों के डीएम द्वारा साइट और मौजूदा संरचना का भौतिक सत्यापन करवाकर पर्यटन विभाग को रिपोर्ट दिया जाएगा जमीन के स्वामित्व से लेकर लोकेशन जैसे आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाना है.
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