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पढ़िए मांग में सजने तक का दिलचस्प सफ़र

सिंदूर हर हिंदू महिला का अहम शृंगार होता है। इसे इंगूर भी कहा जाता है। मांग में सजने से पहले ये एक लंबी यात्रा तय करता है। वैसे तो मैन मेड वर्मिलन (सिंदूर) के बारे में हम सब जानते ही हैं जो चुना, हल्दी और मरकरी को सही अनुपात में मिलाकर बनता है, लेकिन एक तथ्य ये भी है कि सुहागन का ये शृंगार पौधे के बीज से भी बनता है। हर्बल सिंदूर की इस यात्रा की कहानी बड़ी रोचक है।

सिंदूर के इस पेड़ को अंग्रेजी में कुमकुम ट्री या कमील ट्री कहते हैं। मैलोटस फिलिपेंसिस स्पर्ज परिवार का एक पौधा है। ऐसा नहीं है कि हर जगह उपलब्ध होता है, बल्कि इसे देखना हो तो आपको साउथ अमेरिका या अपने देश में महाराष्ट्र या हिमाचल प्रदेश का रुख करना होगा। यहां भी गिने-चुने इलाकों में दिखता है।

अन्य वनस्पति की तरह ये एक ऐसा पौधा होता है जिसमें से जो फल निकलते हैं, उससे पाउडर और लिक्विड फॉर्म में सिंदूर जैसा लाल डाई बनता है। कई लोग इसे लिक्विड लिपस्टिक ट्री भी कहते हैं। इसके एक पौधे में से एक बार में एक या डेढ़ किलो तक सिंदूर फल निकलता है, और इसकी कीमत 500 रुपये प्रति किलो से ज्यादा होती है।

कमीला का पेड़ 20 से 25 फीट तक ऊंचा होता है, यानी एक नींबू के पेड़ जितना ही। पेड़ के फल से जो बीज निकलते हैं, उसे पीसकर सिंदूर बनाया जाता है, क्योंकि यह बिल्कुल नेचुरल होता है। बनाने वाले को कोई नुकसान भी नहीं होता क्योंकि लाल चटख रंग प्राकृतिक होता है, इसमें कोई मिलावट नहीं होती।

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