आइए इस होली जानते हैं भक्त प्रह्लाद की पूरी जानकारी। यह बात तो सब जानते हैं कि होलिका अपनी गोद में लेकर आगे में बैठ गई थी। हिरण्यकश्यपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर कई। किंतु भगवान विष्णु की कृपा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होने लगा। इसकी खुशी में होली का त्योहार मनाया जाने लगा।

पौराणिक कथा के अनुसार, हिरण्यकश्यप ने होलिका को अपना दुपट्टा या अग्निरोधक वस्त्र पहनाया था। उसने ऐसा इसलिए किया ताकि प्रह्लाद जल जाए और होलिका चिता के ऊपर सुरक्षित रहे। लेकिन जब आग भड़की तब गज़ब हो गया। अग्निरोधक वस्त्र तो होलिका के देह पर से उड़ गया और उससे प्रह्लाद ही ढक गया। आग में होलिका जलकर मर गई और प्रह्लाद सुरक्षित बच गया।

अब हम जानते हैं भक्त प्रह्लाद की दूसरी बुआ के बारे में। होलिका के जीवनसाथी का नाम वप्रीचिति था। इनकी संतान का का नाम स्वरभानु था।
प्रह्लाद की दूसरी बुआ का नाम था सिंहिका। जैसा कि हम जानते हैं कि प्रह्लाद की एक बुआ होलिका आग में जलकर मर गई थी। वहीं, प्रह्लाद की दूसरी बुआ सिंहिका को हनुमानजी ने लंका जाते वक्त रास्ते में मार दिया था।
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