इस्लाम धर्म का एक प्रमुख त्योहार बकरीद जिसे ईद-उल-अजहा या ईद-उल-जुहा के नाम से भी जाना जाता है. यह पर्व हर साल इस्लामिक कैलेंडर के आखिरी महीने की 10वीं तारीख को मनाया जाता है.

इस बार यह पर्व सात से नौ जून तक मनाई जाएगी. यह त्योहार रमजान की समाप्ति के करीब 70 दिनों बाद आता है और हज के साथ भी जुड़ा हुआ है. इस्लामिक मान्यताओं में बकरीद का महत्व कुर्बानी की परंपरा से जुड़ा हुआ है.



बकरीद का त्योहार पैगम्बर हजरत इब्राहिम की अल्लाह के प्रति अटूट भक्ति और समर्पण की याद में मनाया जाता है. इस्लामिक मान्यता के अनुसार, हजरत इब्राहिम को अल्लाह (ईश्वर) ने सपने में अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी देने का आदेश दिया.



इब्राहिम, जिन्हें 80 वर्ष की आयु में बेटा इस्माइल नसीब हुआ था, अपने बेटे से बेहद प्यार करते थे. फिर भी, उन्होंने अल्लाह के हुक्म का पालन करने का निर्णय लिया. जब उन्होंने इस्माइल को कुर्बानी के लिए तैयार किया, तो इस्माइल ने भी सहर्ष सहमति दी.


लेकिन जैसे ही इब्राहिम ने कुर्बानी शुरू की, अल्लाह ने चमत्कार किया और इस्माइल की जगह एक मेमने (दुंबा) को कुर्बान कर दिया. इस घटना ने इब्राहिम की भक्ति और आज्ञाकारिता को सिद्ध किया और तब से बकरीद पर कुर्बानी की परंपरा शुरू हुई.


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