बिहार में अतिक्रमण इतना व्यापक स्तर पर फैला हुआ है कि लोगों ने सरकारी जमीनें तो छोड़ो तालाब, पहाड़ और यहां तक कि श्मशान को भी नहीं छोड़ा। राज्य में अभी जमीन सर्वे का काम चल रहा है। इस दौरान बड़ी संख्या में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के मामले भी सामने आ रहे हैं। कई जगहों पर यह भी सामने आया है कि अंचल स्तरीय पदाधिकारियों या कर्मियों की भी मिलीभगत से अतिक्रमण हुआ है। जिस जमीन पर पहाड़ या तालाब है, उसका भी पर्चा किसी के नाम पर काट दिया गया।
कुछ स्थानों पर दबं’गों या संबंधित जमीन की देखरेख के लिए गठित कमेटी के सदस्यों ने ही जमीन बेच दी। कब्रि’स्तान गैर-मजरूआ जमीन की श्रेणी में आते हैं। ग्राम सभा इसकी देखरेख करती है। कई स्थानों पर कमेटी ही इसे गलत तरीके से जमीन बेच रही है।
इन जगहों पर हुआ अवै’ध क’ब्जा
सर्वे में पता चला है कि मधुबनी और दरभंगा में एक व्यक्ति ने सार्वजनिक तालाब ही अपने नाम पर करवा लिया। शेखपुरा बाजार से थोड़ी दूरी पर कारे पंचायत में मौजूद एक पहाड़ को बालमुकुंद नाम के एक व्यक्ति ने अपने नाम पर लिखवा लिया। उसके पास इसका पर्चा भी है। इसी शहर में जखराज स्थान मोड़ के पास मौजूद श्मशान भूमि के बड़े हिस्से को स्थानीय व्यक्ति ने अपने नाम पर करा लिया। श्मशान के कुछ हिस्से की बंदोबस्ती भी कर दी गई है। मुजफ्फरपुर के कुढ़नी में भी श्मशान की जमीन पर कब्जा हो गया है। लखीसराय नगर क्षेत्र में सार्वजनिक तालाब पर कब्जा हो गया है। सोनपुर में टोपोलैंड की बंदोबस्ती कर दी गई है।
सीवान के महाराजगंज अनुमंडल के दरौंदा स्टेशन से थोड़ी दूरी पर मौजूद एक तालाब को निजी जमीन की तरह किसी ने अपने नाम पर करवा रखा है। इस तरह के अब तक एक हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि विभाग के पास सरकारी जमीन पर अतिक्रमण से जुड़ा कोई सटीक आंकड़ा नहीं है। सभी जिलों से इसे एकत्र कराया जा रहा है। शुरुआती स्तर पर जांच में ही ऐसे मामलों की संख्या सैकड़ों में पहुंच गई है।
मंत्री का दावा- अतिक्रमण मुक्त होंगी सरकारी जमीनें
बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि अभी जमीन का सर्वे कराया जा रहा है। एरियल सर्वे में चीजें पूरी तरह से स्पष्ट होने के बाद अतिक्रमण से संबंधित सभी मामलों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा।
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