बोधगया महात्मा बुद्ध के ज्ञान और मोक्ष की धरती है. यह योग की धरती है. यहीं से विश्व को शांति और अहिंसा का संदेश संप्रेषित होता है. योगासन भारत के राष्ट्रीय महासचिव डॉ जयदीप आर्य ने समापन समारोह में ये बातें कहीं.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के अथक प्रयास से राष्ट्र संघ ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में स्वीकार किया. अब योगासन खेल के रूप में स्वीकार्य हुआ है. 2026 में एशियन गेम्स में इसे शामिल किया गया है, जबकि भारत में 2036 में होनेवाले ओलिंपिक खेलों में भी इसे शामिल कराने का प्रयास जारी है.



इस अवसर पर आइआइएम बोधगया की निदेशक विनिता सहाय ने कहा कि पूरे विश्व में भारत के ज्ञान-विज्ञान और योग का डंका बज रहा है. उन्होंने कहा कि दुनिया भारत को तीन संस्थानों के कारण जानती है. वे हैं-आइआइटी, आइआइएम और योग.



उन्होंने बताया कि पूरे भारत में अकेला आइआइएम बोधगया में योग एक क्रेडिट कोर्स के तौर पर संचालित है. उन्होंने युवाओं को योग में बेहतर भविष्य होने की पुष्टि की और न सिर्फ प्रतिस्पर्धा, बल्कि शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी का साधन बताया.



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