भूकंप के लिहाज से अति संवेदनशील सिस्मिक जोन चार व पांच में आने वाले बिहार के अधिकांश जिलों में खतरों की अग्रिम चेतावनी जारी की जा सकेगी। आपदा प्रबंधन प्राधिकार व विज्ञान एवं प्रावैद्यिकी विभाग मिलकर राज्य के 10 जिलों में सिस्मिक टेली नेटवर्क तैयार कर रहा है। मुजफ्फरपर में एमआईटी कॉलेज परिसर में टावर लगाया जा रहा है। पटना, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, सहरसा, पूर्वी चंपारण, पूर्णिया, दरभंगा, सीतामढ़ी, गोपालगंज व छपरा में बीएसटीएन टावर लगाया जाएगा।
बीएसटीएन टावर धरती के कम्पन का उसी तरह अध्ययन करेगा, जिस तरह मानव के दिल की धड़कन की गिनती होती है। अध्ययन में धरती के कंपन के परिवर्तन को रिकार्ड किया जाएगा। इसके आधार पर ही न्यूनतम समय में भूकंप का पूर्वानुमान चेता’वनी के साथ जारी किया जाएगा।
विशेषज्ञों के अनुसार बीएसटीएन टावर लगने के बाद भूकंप का पूर्वानुमान तीन दिन से लेकर एक सप्ताह पहले तक लगाया जा सकेगा। इसके तहत भूकंप के केंद्र का तो पता लगेगा ही, उसकी तीव्रता का भी सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल से लेकर झारखंड तक की सीमा में आने वाली धरती भूकंप के लिए अति संवेदनशील क्षेत्र में आती है। आने वाले 10 सालों में इन इलाकों में भूकंप की बारंबारता बढ़ने की आशंका है।
आपदा प्रबंधन के टेक्निकल एडवाइजर बीके सहाय ने कहा कि बीएसटीएन के माध्यम से भूकंप का पूर्वानुमान जारी किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों का दल इसकी रिपोर्ट का अध्ययन कर पूर्वानुमान जारी करेगा।
एमआईटी कॉलेज के विशेषज्ञ सीबी राय बताते हैं कि आने वाला दशक भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है। बीएसटीएन से हम सतर्क होना चाहते हैं। इसके लिए सभी सरकारी निर्माण कार्य भूकंपरोधी किये जा रहे हैं। राजमिस्त्री को भी भूकंप रोधी निर्माण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बीएसटीएन अगले दो माह में काम करना शुरू करेगा।
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