मगध विश्वविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय नैक कार्यशाला का समापन हो गया. समापन सत्र में उद्यमी व शिक्षाविद अवधेश कुमार, नैक सलाहकार अरुण कुमार के साथ बिहार राज्य उच्च शिक्षा निदेशक प्रो एनके अग्रवाल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए.

सत्र की अध्यक्षता मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एसपी शाही ने की. कुलपति प्रो एसपी शाही ने अपने संबोधन में कहा कि गुणवत्ता केवल मूल्यांकन का पैमाना नहीं है, बल्कि यह संस्थान की पहचान बननी चाहिए. आज उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका केवल डिग्री प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि नवाचार, अनुसंधान व समाज सेवा में भी उनकी प्रभावी उपस्थिति होनी चाहिए.



नैक प्रत्यायन की यह प्रक्रिया हमें आत्ममंथन व सतत सुधार का अवसर देती है, जिससे हम नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ सकते हैं. अवधेश कुमार ने शैक्षणिक संस्थानों को नवाचार, कौशल विकास व उद्योग जगत से बेहतर समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि युवाओं को नौकरी ढूंढने वाला नहीं, बल्कि रोजगार सृजक बनना होगा और इसके लिए शिक्षा प्रणाली में व्यावहारिकता, उद्यमशीलता व नेतृत्व को बढ़ावा देना आवश्यक है.



नैक सलाहकार अरुण कुमार ने प्रस्तावित बाइनरी प्रत्यायन ढांचे की विस्तार से व्याख्या करते हुए कहा कि गुणवत्ता, पारदर्शिता व उत्तरदायित्व ही आज के शिक्षण संस्थानों की सफलता के तीन प्रमुख आधार हैं. उन्होंने डेटा-संचालित निर्णय प्रणाली, समुचित दस्तावेजीकरण, नवाचारी शिक्षण विधियां व छात्र-केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया संस्थानों को आत्मनिर्भर व प्रतिस्पर्धात्मक बनायेगी. प्रो एनके अग्रवाल ने कहा कि बाइनरी प्रत्यायन प्रणाली एक नवोन्मेषी पहल है जो संस्थानों को गुणवत्ता आधारित मूल्यांकन और सुधारोन्मुख आकलन की दिशा में प्रेरित करेगी. उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान, डिजिटल पुस्तकालय, शिक्षकों की निरंतर प्रशिक्षण प्रक्रिया और छात्रों की सक्रिय सहभागिता संस्थान की पहचान बनाते हैं.


आइक्यूएसी समन्वयक प्रो मुकेश कुमार के धन्यवाद ज्ञापन के साथ यह दो दिवसीय कार्यशाला समाप्त हुई, जिसने सहभागियों को नैक प्रत्यायन की बारीकियों, गुणवत्ता की दिशा में नीतिगत दृष्टिकोण व नवाचार की संभावनाओं से समृद्ध किया.


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