पटना: लैंड फॉर जॉब केस में लालू यादव को कोर्ट से राहत मिल गई है। लेकिन, उनके बेटे बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को न्यायालय के फैसले से झटका लगा है। उन्हें सीबीआई के सामने हाजिर होना ही पड़ेगा। इसके लिए 25 मार्च की तारीख मुकर्रर कर दी है। इस मामले पर बिहार में सियासत भी तेज हो गई है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने पूछा है कि तेजस्वी यादव सीबीआई से कब तक भागते रहेंगे? वह चाहे जितना भी जुगाड़ लगा लें लेकिन, कोई राहत नहीं मिलेगी क्योंकि, उनके शुभचिंतक जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने उन्हें फंसाने का पुख्ता इंतजाम कर दिया है।
बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि तेजस्वी यादव जांच में सहयोग करें। आखिर वह सीबीआई के समन से कब तक भागते रहेंगे। उन्होंने सवाल पूछा है कि तेजस्वी यह बताएं कि फ्रेंड्स कॉलोनी में डेढ़ सौ करोड़ के 4 मंजिला मकान के मालिक वह कैसे बन गए? सुशील कुमार मोदी ने कहा कि सीबीआई के समन पर उपस्थित नहीं होना, फिर पत्नी की तबीयत का हवाला देना, समन के खिलाफ कोर्ट में जाना, फिर विधानसभा की कार्यवाही में उपस्थिति को पूछताछ से बचने के लिए बहाना बनाना। ये जुगाड़ ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकते। तंज कसते हुए सुशील मोदी ने लिखा है कि बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी।
ट्वीट कर सुशील मोदी ने कहा है कि ललन सिंह ने इस मामले में सीबीआई को पुख्ता सबूत उपलब्ध करा दिया है। लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव सहित सभी प्रमुख आरो’पियों के अप’राध साबित होंगे और उन्हें सजा भी मिलेगी। अपने ट्वीट में सुशील मोदी ने लालू यादव से भी पूछा है कि 2006 में हजारी राय के दो भतीजे दिल चंद्र कुमार और प्रेमचंद कुमार को जबलपुर और कोलकाता में रेलवे की ग्रुप डी की नौकरी मिली। हजारी राय से एक जमीन 21 फरवरी 2007 को एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड के नाम लिखवा ली गई। इसके सबूत सीबीआई के पास उपलब्ध हैं। फ्रेंड्स कॉलोनी के जिस मकान में तेजस्वी यादव रहते हैं उसका मालिकाना हक एके इंफोसिस्टम के पास था। बाद में इसे तेजस्वी यादव और बराबरी देवी के नाम कर दिया गया। वह दोनों कंपनी के मालिक ही बन गए। सीबीआई के इस सवाल का जवाब तेजस्वी यादव को देना ही पड़ेगा।
सुशील मोदी ने दावा किया है कि रेलवे में नौकरी देने के नाम पर जमीन लिखाने के घो’टाले वाले मामले में तेजस्वी यादव अब पूछताछ, ट्रायल और सजा से खुद को नहीं बचा पाएंगे। सीबीआई पूछताछ के लिए तेजस्वी यादव को तीन बार नोटिस दे चुकी है। तीनों बार तेजस्वी सीबीआई मुख्यालय पहुंचे। तीसरी नोटिस मिलने पर उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई के समन को खारिज करने की गुहार लगाई। लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील को खारिज करते हुए सीबीआई को पूछताछ में सहयोग करने का आदेश दिया है।
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