Press "Enter" to skip to content

‘खून लेकर आओ, तब होगा इलाज’ जिंदगी की जंग लड़ रहे थैलीसीमिया के मरीजों को जलील कर रहा है पीएमसीएच

बिहार की राजधानी पटना में स्थित राज्य के बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच में खून की कमी के चलते थैलेसीमिया के मरीजों को अपमान का सामना करना पड़ रहा है। पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में जिंदगी की जंग लड़ रहे थैलेसीमिया के मरीजों से अपने जिले से ही खून लेने के लिए कहा जा रहा है। ऐसे में मरीज और उनके परिजन को शर्मिंदगी के साथ-साथ मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं।

खून लेकर आओ, तब होगा इलाज: जिंदगी की जंग लड़ रहे थैलीसीमिया के मरीजों को जलील कर रहा है PMCH

थैलेसीमिया एक आनुवांशिक बीमारी है, जो शरीर में हीमोग्लोबिन नहीं बन पाने के कारण होती है। ऐसे में मरीजों को एक निश्चित अंतराल में ब्लड चढ़ाने की सख्त जरूरत पड़ती है। अधिकारियों के मुताबिक पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (पीएमसीएच) में रोजाना थैलेसीमिया के 12 से 15 मरीज आते हैं। उन्हें खून नहीं मिलने से इलाज में दिक्कत हो रही है।

सीवान की रहने वाली रूबी खातून का कहना है कि वह मंगलवार को अस्पताल में अपने 8 साल के बच्चे अमन अली के साथ आईं। उनके बच्चे को ए पॉजिटिव पैक्ड रेड बल्ड सेल्स (पीआरबीसी) की एक यूनिट की जरूरत थी। वह कर्मचारियों के सामने हाथ जोड़कर विनती करती रहीं।

रूबी ने बताया कि अली को हर 15 दिन में खून चढ़ाने की जरूरत होती है। बीते दो सालों से वह पीएमसीएच से मुफ्त ब्लड ले रही हैं।  डॉक्टरों ने पहले उन्हें रिप्लेसमेंट ब्लड के लिए डोनर की व्यवस्था करने के लिए कहा। जब उन्होंने बताया कि वह आर्थिक रूप से कमजोर हैं और उनके पति कोलकाता में मजदूरी करते हैं, तो उन्हें बहुत मिन्नतें करने के बाद एक यूनिट ब्लड दे दिया और अगली बार से मुजफ्फरपुर में स्थित थैलेसीमिया डे केयर सेंटर में जाने के लिए कह दिया गया।

पीएमसीएच में एक नोटिस लगाया गया है, जिसमें मरीजों को अपने संबंधित जिला अस्पतालों के ब्लड बैंक से खून लेकर आने को कहा गया है। बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (BSACS) राज्य में ब्लड बैंक को नियंत्रित करती है। उसने ही पीएमसीएच को इस तरह का नोटिस लगाने की सलाह दी। बीएसएसीएस के अतिरिक्त परियोजना निदेशक डॉ. एनके गुप्ता ने कहा कि हम थैलेसीमिया के मरीजों को उनके गृह जिले में ही ब्लड उपलब्ध कराना चाहते हैं, ताकि उन्हें पटना आने-जाने की अनावश्यक परेशानी से निजात मिल सके। साथ ही, हम चाहते हैं कि पटना में थैलेसीमिया के रोगियों का दबाव न रहे। उन्हें अपने गृह जिले में ही इलाज की सुविधा मिल जाए। बता दें कि सुपौल को छोड़कर बिहार के 37 अन्य जिलों में सदर अस्पतालों से जुड़ा ब्लड बैंक है।

2021 में एक सरकारी निर्णय के बावजूद, बिहार में केवल कुछ ही निजी ब्लड बैंक पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर और गया के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में थैलेसीमिया डे केयर सेंटरों को खून मुहैया करा रहे हैं।

उदाहरण के लिए, पटना में 22 गैर-सरकारी ब्लड बैंक हैं उनमें से केवल चार- प्रथमा ब्लड बैंक, निरामय ब्लड बैंक, महावीर कैंसर संस्थान और कुर्जी होली फैमिली अस्पताल ने ही थैलेसीमिया मरीजों को अपना योगदान दिया है।

सरकार के फैसले के मुताबिक निजी ब्लड सेंटरों को थैलेसीमिया डे केयर सेंटरों को हर महीने कम से कम 20 यूनिट खून दान करने के लिए कहा गया है। बिहार में 110 निजी ब्लड बैंक हैं। ऐसे में सरकार का यह फैसला कागज पर ही रहता हुआ नजर आ रहा है।

 

Share This Article
More from ADMINISTRATIONMore posts in ADMINISTRATION »
More from BHAGALPURMore posts in BHAGALPUR »
More from BIHARMore posts in BIHAR »
More from HEALTHMore posts in HEALTH »
More from MUZAFFARPURMore posts in MUZAFFARPUR »
More from PATNAMore posts in PATNA »
More from STATEMore posts in STATE »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *