पटना: बिहार सरकार के बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की जेल से रिहाई के फैसले के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। शीर्ष अदालत इस पर 8 मई को सुनवाई करेगी। गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया की ह’त्या के मामले में सजा काट रहे आनंद मोहन को पिछले हफ्ते ही सहरसा जेल से रिहा किया गया था। इसके लिए नीतीश सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव किया था। अब जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने नीतीश सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। अगर शीर्ष अदालत सरकार के इस फैसले पर रोक लगाती है तो आनंद मोहन को वापस जेल भी जाना पड़ सकता है।
मुजफ्फरपुर जिले में 1994 में हुए गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैय्या ह’त्याकांड में बाहुबली आनंद मोहन को 2007 में फां’सी की सजा सुनाई गई थी। बाद में इसे उम्रकैद में बदल दिया गया। इसके बाद से आनंद मोहन जेल में बंद थे। पिछले महीने ही नीतीश सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव किया और ‘सरकारी सेवकों की ह’त्या के दोषी’ वाले विशेष नियम को हटा दिया। फिर राज्य सरकार ने आनंद मोहन समेत 27 बंदियों की रिहाई का आदेश जारी किया और पूर्व सांसद जेल से बाहर आ गए।
जी कृष्णैया की पत्नी की नीतीश सरकार के फैसले को चुनौती
डीएम जी कृष्णैया की पत्नी उमा ने अब नीतीश सरकार के आनंद मोहन को रिहा करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। उमा ने अपनी याचिका में कहा है कि अदालत ने आनंद मोहन को उम्रकै’द की सजा सुनाई थी, जो कि उसके पूरे जीवनकाल के लिए है। मगर उसे समय से पहले ही रिहा कर दिया गया। जब किसी दोषी को फां’सी के बदले उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है तो उसका सख्ती से पालन करना होता है। समय से पहले उसकी सजा खत्म नहीं करनी चाहिए। आनंद मोहन को ताऊम्र जेल में रखा जाना चाहिए। शीर्ष अदालत इस याचिका पर 8 मई को सुनवाई करेगी।
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