लोग घर में बचे बासी भोजन फेंक दिया करते हैं। लेकिन हम आपको बताएंगे कि एक दिन ऐसा भी होता है जिसमें बासी भोजन ही जरूरी होता है।

शीतला अष्टमी के अवसर पर बासी भोजन का सेवन और माता को उसका भोग लगाने की परंपरा है।इसके पीछे मुख्यतः दो कारण हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता शीतला को ठंडा और बासी भोजन पसंद है। इसलिए, भक्तगण उन्हें प्रसन्न करने के लिए इस दिन बासी भोजन का भोग अर्पित करते हैं।

इस परंपरा का एक उद्देश्य स्वास्थ्य की रक्षा भी है। माना जाता है कि इस समय मौसम परिवर्तन के कारण विभिन्न बीमारियों का प्रकोप बढ़ता है। बासी भोजन का सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।

शीतला अष्टमी, जिसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। होली के आठ दिन बाद चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह पर्व शनिवार 22 मार्च को होगा।


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