पटना: बीजेपी को छोड़कर नीतीश कुमार ने जब आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई तो राज्य में दस लाख नौकरी और दस लाख रोजगार देने का वादा किया गया। बिहार के युवाओं को लगा कि एक साथ बीस लाख हाथों को काम देने का सरकार का आश्वासन उनके लिए वरदान है। इस दौरान शिक्षा विभाग समेत कई विभागों में बड़ी संख्या में नौकरियां दी गईं। महागठबंधन से निकल कर जब नीतीश कुमार ने एनडीए की सरकार बना ली तो एक बार फिर सरकारी नौकरी और रोजगार बिहार में राजनीति का केंद्र बन गया है। नीतीश कुमार ने लालू यादव और तेजस्वी यादव पर तंज कसा है।
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा ने कहा कि विभिन्न विभागों की लंबित रिक्तियों को सरकार जल्द भरे। पटना स्थित पार्टी के प्रदेश कर्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मनोज झा ने कहा कि नीतीश कुमार और उनकी सरकार में शामिल हो राजद और तेजस्वी यादव से जमकर राजनीति करें, इसमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन बिहार के युवाओं के सपनो से राज्य सरकार खेलने का काम नहीं करे। मनोज झा बुधवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में ये अपनी बात रख रहे थे। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के विजन पर ही लाखो की बिहार में रिक्तियां भरी गई। सिर्फ शिक्षा विभाग में दो लाख से ज्यादा रिकार्ड नौकरी दी गई। आज स्थिति यह है कि हर गांव में किसी न किसी के परिचित को नौकरी मिली है। उन्होंने कहा कि हमारे चुनावी घोषणा पत्र में ही दस लाख नौकरी का वादा किया गया था जिसे पूरा करने की दिशा में काफी काम किया गया।
इससे पहले बुधवार को नीतीश कुमार ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत राष्ट्रीय जनता दल पर बिहार में सरकारी नौकरी के लिए जबरदस्ती श्रेय लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बिहार में सरकार की नीतियों के तहत युवाओं को नौकरी दी जा रही है। जो भी बहाली हो रही है वह सात निश्चय पार्ट टू का हिस्सा है। कोई अपना क्रेडिट झुठे लेने के लिए क्लेम करते रहता है। छोड़िए इन चीजों को। विज्ञापन निकलवा कर इसका क्रेडिट लेने की होड़ लगी है। उन्होंने तेजस्वी यादव को बच्चा बताते हुए कहा कि उनको कुछ पता ही नहीं है। मुख्यमंत्री ने 2005 के पहले के लालू राबड़ी सरकार की याद दिलाते हुए कहा कि उसके पहले क्या स्थिति थी? यह किसी को याद नहीं है। इन लोगों का राज जब था तो क्या होता था भूल गए। शाम होते ही लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे। 2005 के बाद सब कुछ बदल गया।
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