पटना: देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बिहार में सबसे ज्यादा गहमागहमी देखने को मिल रही है. इस बार नीतीश कुमार की चाहत दिल्ली की गद्दी पर बैठने की है. हालांकि, उन्होंने कभी खुद खुलकर ये बात नहीं बोली। हमेशा उनकी पार्टी के नेता ही उन्हें विपक्षी गठबंधन का नेता बनाने की कोशिश करते दिखे। विपक्षी गठबंधन में अपनी हैसियत बढ़ाने के लिए जेडीयू को ना सिर्फ ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा बल्कि जीतना भी पड़ेगा. इसके लिए पार्टी अब बिहार के बाहर भी अपना भविष्य देख रही है. नीतीश कुमार की निगाहें अब यूपी और झारखंड पर लगी हुई हैं।
नीतीश कुमार आगामी 17 जनवरी को झारखंड के दौरे पर रामगढ़ का दौरा करने वाले हैं. यहां पार्टी ने ‘नीतीश जोहार’ कार्यक्रम का आयोजन किया है. नीतीश कुमार के झारखंड दौरे के तैयारी को लेकर विशेष रूप से रूपरेखा तैयार की गई। झारखंड में जेडीयू के नेताओं का कहना है कि पार्टी मजबूती के साथ आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उतरेगी। इससे पहले नीतीश कुमार के विश्वासपात्र और बिहार सरकार में मंत्री अशोक चौधरी भी झारखंड का दो दिवसीय दौरा कर चुके हैं. उस वक्त अशोक चौधरी ने कहा था कि एक समय था कि तत्कालीन बिहार में हमारे यहां से कई विधायक और सांसद हुआ करते थे ऐसे में हमने अपनी राजनीतिक जमीन को दी है और उसे वापस लौटने की कवायद में यह कार्यक्रम होना है।
केंद्र में बीजेपी की हैट्रिक रोकने के लिए जेडीयू अबकी बार भाजपा को उसके गढ़ में घेरने की तैयारी कर रही है. इसके लिए जेडीयू नीतीश कुमार को यूपी की किसी सेफ सीट से लड़ाने की योजना बना रही है. यूपी के जेडीयू नेताओं की मांग है कि नीतीश कुमार यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें. उनका कहना है कि बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए मुख्यमंत्री को कुछ महीने यूपी में चुनाव प्रचार करना चाहिए. जेडीयू नेताओं का दावा है कि जनता नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है।
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