बिहार में डेंगू लगातार अपने पांव पसार रहा है। बचाव के लिए सरकारी स्तर से किये जा रहे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। मरीजों की संख्या बढ़ रही है और सुविधाएं कम पड़ रही हैं।
इस बीच राजधानी पटना के ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की भारी कमी की बड़ी वजह सामने आई है। दरअसल, मरीज के परिजनों के साथ समान रक्त समूह के रक्तदाता ब्लड बैंक तक पहुंच तो रहे हैं लेकिन परीक्षण में 90 प्रतिशत रक्तदाताओं को अस्वीकृत कर दिया जा रहा है।
आपात स्थिति में सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की जुगाड़ में लगे परिजनों को डोनर मिलने के बावजूद उस समय अजीब स्थिति का सामना करना पड़ रहा है जब ब्लड बैंकों में स्क्रीनिंग के दौरान डोनर को अस्वीकृत कर दिया जा रहा है।
आलम यह है कि एक यूनिट एसडीपी के लिये पांच से छह डोनर ब्लड बैंक में पहुंच रहे हैं लेकिन उनमें एक या कभी कभी एक भी डोनर को इस काबिल नहीं माना जा रहा है। इस वजह से मरीज की जान सांसत में पड़ी रह रही है। हालांकि जो डोनर परीक्षण में सफल हो जा रहे हैं वे एक घंटे से लेकर 80 मिनट में प्लेटलेट्स दान कर पा रहे हैं।
ब्लड बैंक संचालकों का कहना है कि मरीज की जिंदगी बचाने में रक्तदाता की जिंदगी खतरे में नहीं डाल सकते। हालांकि स्वस्थ रक्तदाता एक बार प्लेटलेट्स दान करने के एक हफ्ते बाद फिर से एसडीपी प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं।
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