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बगहा : सरकारी अस्पताल में दर्द से तड़पती रही बच्ची, नहीं हो सका इलाज

बगहा : बिहार में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने की बात भले ही सरकार करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। चाहे मरीज चीखते-चिल्लाते रहें या फिर कुछ और, उनका इलाज नहीं हो पाता।

जी हां, यही सच है बिहार सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था का। बगहा अनुमंडल के मधुबनी प्रखंड स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मधुबनी की एक घटना ने स्वास्थ्य सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है। गुरुवार की देर शाम में दहवा स्थिति सीएचसी के इमरजेंसी बर्न केयर यूनिट में स्वास्थ्य कर्मियों ने कुछ ऐसा किया जो दिल दहला देने वाला है।

इलाज के अभाव में चार साल की बच्ची जलन व दर्द से तड़पती रही थी। लेकिन, इलाज करने के लिए कोई भी स्वास्थ्य कर्मी अस्पताल में मौजूद नहीं थे। इसके बाद बच्ची को लेकर आए परिजनों ने अस्पताल की व्यवस्था को अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए वीडियो भी बना लिया।

खलवापट्टी गांव का निवासी मुकेश नट का आरोप है कि चार वर्षीय बच्ची सुमन कुमारी का पैर आग से जल गया था। उसे इलाज के लिए इलाज के लिए सीएचसी में लाया गया। लेकिन, वहां पर स्वास्थ्यकर्मी नहीं थे। परिजनों ने अस्पताल में सभी जगह देखा, लेकिन मौके पर कोई नही मिला।

इस घटना को लेकर परिजन शोर मचाने लगे। इसका पता चलने पर कहीं से एक डॉक्टर पहुंचे। लेकिन, उन्होंने इमरजेंसी में दवा नहीं होने की बात कह, बिना इलाज के ही बच्ची और उसके परिजनों को वापस लौटा दिया। बच्ची जलन और दर्द से चीख-पुकार मचाती रही। उसकी आवाज सुन कर असपास के लोग जुट गए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की संवेदना नहीं ही जगी।

इसके बाद ग्रामीणों ने इमरजेंसी में दवा नहीं होने का शिकायत सिविल सर्जन वीरेन्द्र चौधरी से फोन पर की। इस पर उन्होंने भी यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि यह स्थानीय डॉक्टर बताएगा। इसके बारे में मैं कुछ नहीं बता सकता।

सीएचसी में नियुक्त हैं छह डॉक्टर
बता दें कि इस सीएससी में छह डॉक्टर नियुक्त हैं। इनमें एक डेंटल डॉक्टर हैं। वही पीएससी के अंतर्गत 30 एएनएम, 3 जीएनएम, एक फार्मासिस्ट, एक एंबुलेंस चालक और चार डाटा ऑपरेटर की बहाली हुई है। इतना सब कुछ होने के बाद भी अस्पताल में बच्ची का इलाज नहीं हो सका। जब लड़की का इलाज यहां नहीं हो सका तो मायूस होकर परिजन उसे लेकर यूपी चले गए। यूपी के सरकारी हॉस्पिटल में लड़की का इलाज हुआ।

इधर, सीएचसी के चिकित्सक डॉ नासिर हुसैन ने बताया आने में थोड़ी सी विलंब हो गई थी। दवा नहीं होने के कारण लड़की का इलाज नहीं हुआ।

इस मामले को लेकर एमएलसी भीष्म साहनी ने कहा कि यह घटना मानवता को शर्मशार करने वाली है, जहां पिता अपनी बच्ची को गोद मे लेकर दर-दर भटकता रहा। लेकिन अस्पताल में कोई उसका इलाज नहीं करता है। उन्होंने कहा कि यह गंभीर मामला है। इस अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक हों या अन्य सभी लापरवाही बरतते हैं। उन्होंने बताया कि इस अस्पताल के सभी स्टाफ उत्तर प्रदेश के इलाके में रहते हैं। इसकी शिकायत मैं मंत्री से मिलकर करूंगा।

 

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