खबर पश्चिम चंपारण जिले के बगहा से है। खबर गर्व की भी है और महिलाओं के अदम्य साहस की भी। यहां महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने दूसरों की जान बचाने के लिए कुछ ऐसा किया है जो दूसरों के लिए एक नजीर बन गयी है। यह लोगों के लिए चर्चा का विषय भी बन गया है।
इन महिला स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना टीकाकरण के लिए रामनगर के दोन इलाके में जाना था। यहां जाने का एकमात्र साधन ट्रैक्टर है। दूसरे वाहन से यहां नहीं जाया जा सकता।
इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने ट्रैक्टर से उन्हें रवाना किया। लेकिन, आगे चल कर ट्रैक्टर कीचड़ में फंस गया। इसके बाद चालक ने ट्रैक्टर आगे ले जाने से मना कर दिया।
रामगर का दोन इलाका इतना दुर्गम है कि रास्ते में कई छोटी नदियों को तो पार करना ही पड़ता है। दुर्गम जगलों से भी लोगों का सामना होता है। जंगल भी ऐसा वैसा नहीं, इसके अंदर 50 से अधिक बाघ हैं।
भालुओं की संख्या में 200 से अधिक है। बाकी अन्य भी जानवर इस जगल में रहते हैं। ऊपर से तुर्रा यह कि बारिश के समय पूरा इलाका टापू बन जाता है। ऐसे में यहां जाना हर किसी के बस की बात नहीं।
इन चुनौतियों के बाद भी इन महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने हार नहीं मानी और आगे का 10 किलोमीटर का जंगलों से भरा खतरनाक रास्ता पैदल ही तय कर लिया। इतना ही नहीं रामनगर के दोन क्षेत्र में जाकर टीकाकरण शुरू भी कर दिया।
इन महिला स्वास्थ्यकर्मियों के पास कोरोना टीके की चार हजार डोज है। दोन इलाके में 22 गांव पड़ते हैं। एक दिन में टीकाकरण संभव भी नहीं। इसलिए इन स्वास्थ्य कर्मियों को वहां और दिन भी लगेंगे। इसके लिए वे वहीं पर रहकर टीकाकरण करेंगीं।
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