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बाढ़ की राजधानी में भी सता रहा पानी के संकट का भय

चिलचिलाती धूप व प्रचंड गरमी के कारण दरभंगा जिले में भू-गर्भीय जलस्तर तेजी से नीचे खिसकने लगा है. इस कारण अधिकांश गांवों में चापाकल ने पानी देना बंद कर दिया है. वहीं अधिकांश वार्डों में लगा नल-जल विभागीय उदासीनता के कारण बंद पड़ा है. इसे लेकर बाढ़ की राजधानी के नाम से जाना जानेवाले कुशेश्वरस्थान के लोगों को इस साल पेयजल के लिए दर-दर भटकने की चिंता अभी से सताने लगी है.

सर्वाधिक जलसंकट उंचे स्थान वाले गांव औराही, हिरणी, बेर, हरौली व हरिनगर के लोगों को झेलनी पड़ रही है. यहां के अधिकांश चापाकल से पानी आना बंद हो गया है. औराही निवासी शिवशंकर चौधरी, प्रमोद कुमार चौधरी, वेदानंद चौधरी, सुशील कुमार चौधरी, जटाशंकर चौधरी, शोभाकांत पाठक, हेमनारायण चौधरी, रणधीर कुमार चौधरी सहित कई लोगों के चापाकल से एक बूंद भी पानी नहीं गिर रहा है. इनलोगों के चापाकल में लगे मोटर ने भी काम करना बंद कर दिया है.

शिवशंकर चौधरी ने बताया कि भीषण गर्मी में चापाकल सूख जाने से आदमी के साथ-साथ मवेशियों को पानी पिलाने व नहाने में काफी परेशानी हो रही है. लोग नल-जल के सहारे किसी समय बिता रहे हैं. वहीं नल-जल के खराब होने पर दूर-दराज से पानी लाकर काम चलाना पड़ रहा है.

बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में भी लोगों को जल समस्या से जूझना पड़ेगा. इसकी कल्पना भी क्षेत्र के लोगों ने नहीं की थी. 160 फीट गहराई में लगे चापाकल भी दम तोड़ चुके हैं, जबकि इस क्षेत्र में अमुमन 40 से 50 फीट पर लेयर रहने से लोग महज 60 फीट गहराई पर ही चापाकल लगाकर पानी निकालते थे. इधर अधिकांश वार्डों में लगे नल-जल से लोगों को पेयजल उपलब्ध नहीं हो रहा है.

हरौली के मुखिया राजीव कुमार झा ने बताया कि पंचायत के अधिकांश वार्ड में चापाकल पानी देना बंद कर दिया है. पंचायत के अधीन नल-जल रहने पर खराब होते ही उसे मरम्मत करा चालू कर दिया जाता था. पीएचइडी को दिये जाने के बाद से खराब होने पर उसे देखने वाला कोई नहीं है. विभागीय अधिकारी ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर फर्जी रखरखाव व मेंटिनेंस के नाम पर सरकारी राशि डकार रहे हैं. वहीं लोगों को हो रही पेयजल की समस्या का कोपभाजन पंचायत प्रतिनिधि हो रहे हैं.

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