गर्मी के तीखे तेवर ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. शहर में अधिकांश चापाकल दिन में पानी देना बंद कर दिया है. रात में किसी तरह मोटर से पानी खींचा जा रहा है.

गर्मी का कहर बढ़ने से देसी फ्रिज अर्थात मिट्टी के घड़े, सुराही आदि की डिमांड भी बढ़ गयी है. जगह-जगह पर घड़े और सुराही की दुकानें सज गयी है. लोग खरीदारी भी कर रहे हैं. लोग गर्मी से बचने के लिए मिट्टी के घड़े, सुराही खरीद रहे हैं.


फ्रिज व कूलर की बिक्री में बढ़ोतरी हो या न न हो, लेकिन मिट्टी से बने बर्तनों की बिक्री में अच्छी-खासी बढ़ोतरी दिख रही है. बहुत लोग फ्रिज का ठंडा पानी नहीं पीते. उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्या होती है. ऐसे लोग गर्मी से राहत के लिए मिट्टी के बर्तनों का ही सहारा लेते हैं.


अप्रैल में ही सूर्य की तपिश ने आमलोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. गर्मी से बचने के लिए लोग हर विकल्प की तलाश में रहते हैं. इन्हीं विकल्पों में से एक मिट्टी का घड़ा व सुराही है.


मिट्टी के घड़े का क्रेज यह कि सुविधा संपन्न व्यक्ति भी घर में फ्रीज रहते हुए भी घड़े के पानी को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. वजह सिर्फ इतनी है कि घड़े का पानी का गर्मी में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता. वहीं, सोंधी खुशबू के बीच घड़े का एक ग्लास पानी गले को एक अलग ही तरह के ठंड का अहसास कराता है.


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