पटना : राज्य के कई हिस्सों में आम की खेती को 20 फीसदी तक नुकसान हो गया है। आम का फल छेदक कीट और मधुआ का ठीक से प्रबंधन नहीं होने से पत्तियां काली हो गयी हैं। टिकोले (आम) सड़ रहे हैं, झड़ गये हैं।
मुजफ्फरपुर, दरभंगा, शिवहर , मोतिहारी और आसपास के जिलों में फल छेदक कीट (फ्रूट बोरर रोग) ने भारी नुकसान पहुंचाया है। इस कीट पर सामान्य कीटनाशक का असर नहीं हो रहा है। कीट फल में छेद कर उसे सड़ा दे रहा है। इससे आम झड़ कर गिर जा रहे हैं। आधा दर्जन से अधिक जिलों में इस कीट ने बागों में 50 फीसदी तक नुकसान पहुंचा दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार, बारिश अधिक होने से कीट का असर अधिक होता हैं। इस ने कीट 2014- 15 में भारी नुक’सान किया था। बीच में गायब हो गया, लेकिन 2021 में वापस लौटा है। अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेषक एवं डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के सह निदेशक अनुसंधान प्रो (डॉ) एसके सिंह बताते हैं कि वातावरण में दो साल से आद्रता अधिक है।
प्रो (डॉ) एसके सिंह का सुझाव है कि आम का फल 50 ग्राम से बड़े हो गये हैं। अब फलों को नहीं झड़ना चाहिए। फलों को झड़ने से रोकने के लिए बाग में हल्की सिंचाई करें। खाद- उर्वरक समय से दें। कीट आदि लगता है, तो कृषि विज्ञान केंद्र आदि की मदद लें. .फ्रूट फ्लाइ (फल मक्खी) ने 2021 में करोड़ों रुपये की फसल को नुकसान किया था। अब आम के फल में गुठली बनने की है। किसान फेरोमेन ट्रेप का उपयोग करें।
फेरोमेन ट्रेप में ल्यूर होता है, जिसे एक-एक महीने के अंतर पर बदलते रहें। ये ल्यूर मादा फ्रूट फ्लाइ की गंध जैसा होता है। यह नर फ्रूट फ्लाइ के कीट को आकर्षिक कर मार देता है। इससे इनके प्रजनन की प्रक्रिया रुक जाती है। इस तरह से फ्रूट फ्लाइ के कीट को एकत्र करके मा’र देना चाहिए।
बिहार में आम, अमरूद, लीची, केला, अनारस, पपीता, आंवला, तरबूज तथा खरबूजा सहित नौ फलों की खेती प्रमुखता से हो रही है। आम और आंवला का उत्पादन घट रहा है। आम के उत्पादन में 0.87 फीसदी की वार्षिक गिरावट हो रही है। आंवला का उत्पादन 0.96 फीसदी गिरा है। आम करीब 160.24 हजार हेक्टेयर में 15.4997 लाख टन पैदा हो रहा है। वहीं, आंवला की खेती 3.55 हजार हेक्टेयर में की जा रही है। इसका उत्पादन 15 हजार 66 टन है।
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