मोतिहारी : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू रविवार को पूर्वी चंपारण के पिपराकोठी पहुंचे। यहां पर राज्यपाल फागू चौहान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि के कुलाधिपति प्रफुल्ल कुमार मिश्रा, कुलपति डॉ. रमेश चंद्र श्रीवास्तव आदि ने उनकी आगवानी की।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में हेल्थ वर्कर और किसान बिना रुके लगातार काम करते रहे। इसी कारण हमारा देश इस संकट से उबर सका। लॉकडाउन के दौरान मजदूरों के पलायन की भयावह की स्थिति की चर्चा करते हुए कहा कि खेती और इससे जुड़े व्यवसाय में ही वह ताकत है, जिससे लोग इस परेशानी से बच सकते हैं। लोगों को रोजगार मिल सकता है और उनकी हालत सुधर सकती है।
इस दौरान दीक्षा समारोह में मौजूद विद्यार्थियों से कहा, आज आप स्नातक हुए हैं। अनुभव के साथ गर्व भी हो रहा होगा। जरूरी है कि सभी छात्र बचपन से लेकर आज तक जो भी गुरु मिलें उनको याद करें और नमन करें। आज से आपकी नई यात्रा शुरू हो रही है। आशा है कि आप देश के विकास के योगदान में अभूतपूर्व योगदान देंगे।
इस दौरान स्थानीय सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह के कार्यों की तारीफ करते हुए कहा कि यह उनके प्रयास का ही नतीजा है कि आज पिपराकोठी कृषि के उन्नत केंद्र के रूप में परिणत हो गया है। कोरोना के दौरान एग्रीकल्चर सेक्टर में हेल्थ वर्कर और किसान नहीं रूके। इन्ही दोनों ने देश को राहत को दिलाई है। आज जरूरत है कि सभी लोग खेती को आगे बढ़ाएं।
उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर ही हमारा कल्चर है। सरकार लगातार इस क्षेत्र में कार्य करती रही है। नालन्दा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इन दोनों का भारत को विश्व गुरु बनाने में अहम योगदान रहा था। कृषि के क्षेत्र में हर दिन नयी तकनीक आ रही है। अब किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीकों का भी सहारा लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का प्रयोग इस क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम है। कृषि के क्षेत्र में तकनीक का सहारा लेकर टूरिज्म को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।
सरकार का सस्टेनेबल डेवलपमेंट मेन फोकस है। क्लीन इंडिया और उज्ज्वला जैसी योजनाएं प्रधानमंत्री ने इसी कड़ी में शुरू की हैं। उन्होंने फूड प्रोसेसिंग की चर्चा करते हुए कहा कि इस क्षेत्र में भी रोजगार के काफी अवसर हैं। उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी इस दिशा में भी जल्द ही ट्रेनिंग शुरू करने जा रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी भारी संख्या में लोग अपने घरों में वापस आए। लोग शहरों को छोड़कर गांव की तरफ पलायन कर गए। तब कृषि आधारित अर्थव्यस्था ने ही ऐसे लोगों को थामे रखा। अगर बेहतर तरीके से कार्य किये जाएं तो कृषि और एग्रो व्यवसाय में काफी रोजगार का सृजन हो सकता है।
सभा को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि आज के समय में पिपराकोठी बिहार की कृषि राजधानी बनकर उभरा है। एक समय पिपराकोठी में अंग्रेज किसानों का शोषण करते थे। आज उसी भूमि से किसानों के विकास व कल्याण के लिए नई इबारत लिखी जा रही है। कृषि और इससे जुड़े उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए विश्विद्यालय द्वारा लगातार कर्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार बिहार में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। कुछ लोग तो कुछ भी बोलते रहते हैं। लेकिन, उनको सालो काम करने का मौका मिला। उन्होंने क्या किया? जबकि एनडीए सरकार को जबसे सेवा का मौका मिला है लगातार कार्य किये जा रहे हैं। हमारी सरकार में रोड मैप के मुताबित कार्य शुरू हुआ तो उसका बेहतर नतीजा मिला है। अब यहां की उत्पादकता दुगुनी हो गई है।
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