गया: बिहार का गया जिला देश के उन 5 जिलों में शामिल किया गया है। जो अगले एक साल में इमरजेंसी केयर रिस्पॉन्स सिस्टम से लैस होंगे। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को ये जानकारी दी। केंद्र सरकार के पायलट फेस के तहत बिहार के गया के अलावा अरुणाचल प्रदेश का नाहरलागुन, केरल का तिरुवनंतपुरम, हरियाणा का नूंह और उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले को चुना गया है।
आपातकालीन देखभाल प्रतिक्रिया प्रणाली के लिए मॉडल विकसित करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली और बिहार स्वास्थ्य विभाग सहयोग कर रहे हैं। जिसमें परिवार, एंबुलेंस और सुविधा आधारित मॉडल शामिल हैं। प्रोजेक्ट के तहत युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा कि दिल का दौरा पड़ने की स्थिति में, कौन सी जीवन रक्षक दवा दी जानी चाहिए, इसके अलावा कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की तकनीक क्या होती है। किसी व्यक्ति को तुरंत अस्पताल पहुंचाने की ट्रेनिंग भी शामलि है। इसके लिए राष्ट्रीय कैडेट कोर और राष्ट्रीय स्काउट्स और गाइड संगठन को शामिल करते हुए स्कूली बच्चों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा।
स्वास्थ्य विभाग सामुदायिक स्तर पर प्रशिक्षण के लिए संबंधित राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ सहयोग करेगा। सरकार आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियनों (ईएमटी) को भी प्रशिक्षित करेगी ताकि एम्बुलेंस केवल मरीजों के परिवहन के लिए एक वाहन न रहे, बल्कि इसमें मौजूद ईएमटी को पता हो कि कैसे परिवहन के दौरान कम से कम नुकसान पहुंचाने के लिए सड़क हादसे के पीड़ित को कैसे उठाया जाए।
बिहार में आपातकालीन देखभाल की लागत को पूरा करने के लिए लोगों को अपनी जमीन बेचनी पड़ती है। एक अधिकारी ने बताया कि हम आपातकालीन देखभाल प्रतिक्रिया प्रणाली मॉडल को इस तरह से विकसित करना चाहते हैं कि लोगों को बुनियादी बातें पता हो और वो आपात स्थिति से निपटने के लिए हर स्तर पर प्रशिक्षित हों। उन्होंने कहा, एक बार प्रणाली विकसित हो जाने के बाद, सड़क पर खड़े व्यक्ति को भी पता चल जाएगा कि सड़क यातायात दुर्घटना (आरटीए) के शिकार होने की स्थिति में क्या करना है। हमारा लक्ष्य आरटीए में मृत्यु दर को कम करना है, जो करीब 70 फीसदी है। भारत में आरटीए में सबसे अधिक मृत्यु दर वाले राज्यों में बिहार एक है। आपातकालीन देखभाल पर अपनी जेब से होने वाले खर्च को भी कम करना चाहते हैं, जो कि बिहार में भी ज्यादा है।
नई दिल्ली में एकीकृत आपातकालीन देखभाल प्रतिक्रिया प्रणाली के लिए रणनीति विकसित करने के लिए शनिवार को समाप्त हुई तीन दिवसीय कार्यशाला में अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. पीके सिन्हा, बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ. बीके सिंह, आपातकालीन और आघात के लिए राज्य नोडल अधिकारी डॉ अभिषेक कुमार सिन्हा, और अजीत कुमार सिंह शामिल हुए। जिन्होंने एकीकृत आपातकालीन देखभाल प्रतिक्रिया के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश का मसौदा तैयार करने में भी योगदान दिया है।
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