बांका: बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर शुक्रवार को बांका आएंगे। राज्यपाल जिले के बौंसी स्थित मंदार शिखर पर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार और भूमि पूजन शिलान्यास करेंगे। वहीं, राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय करेंगे। राज्यपाल शुक्रवार सुबह हेलीकाप्टर से बांका पहुंचेंगे। उनका हेलीकॉप्टर अद्वैत मिशन स्थित हेलीपैड पर उतरेगा। वे 10:20 से 1 बजे तक मंदार दर्शन और काशी विश्वनाथ मंदिर के भूमि पूजन में शामिल होंगे।
यहां उत्तर प्रदेश के तुलसीपीठ चित्रकूट के पद्म भूषण स्वामी रामभद्राचार्य महाराज के संरक्षण और मार्गदर्शन, यूपी के श्री राधा रासबिहारी धाम वृंदावन के आचार्य स्वामी अंनतचार्य महाराज और शिव शक्ति योग पीठाधीश्वर के आचार्य स्वामी आगमांनद महाराज के सानिध्य में मंदिर का जीर्णोद्धार और भूमि पूजन होगा। इसके साथ ही, राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर अद्वैत मिशन संस्थान परिसर में एक समारोह को भी संबोधित करेंगे। इधर, राज्यपाल के आगमन को लेकर डीएम अंशुल कुमार और एसपी डा. सत्य प्रकाश ने गुरुवार को तैयारी का जायजा लिया।
सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन ने अद्वैत मिशन से लेकर मंदार पर्वत, पापहरणी घाट सहित अन्य आसपास 66 जगहों पर पुलिस बलों के साथ दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की है। एसपी डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि राज्यपाल की सुरक्षा तीन लेयर में होगी। इसमें एक लेयर में जिला पुलिस की टीम रहेगी। दूसरे लेयर में बीएमपी की टीम और तीसरे लेयर में राज्य मुख्यालय के स्पेशल ब्रांच की टीम रहेगी। इधर, एसएसजी की टीम गुरुवार को मंदार क्षेत्र सहित सभा स्थल बौंसी स्थित अद्वैत मिशन शिक्षण संस्थान सभा स्थल व मंदार शिखर स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर का भी जायजा लिया। स्वान दस्ता व बम निरोधक दस्ता की टीम ने भी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया है। कार्यक्रम स्थल पर बिना जांच किसी को प्रवेश नहीं मिलेगा।
ऐसी मान्यता है कि मंदार काशी विश्वनाथ की स्थापना सृष्टि काल से ही है। भगवान शिव द्वारा मंदिर की स्थापना की गई थी। हैदाराबाद से पहुंची आरकेलाजिकल टीम की ओर से भी सर्वे में मंदिर हजारों साल पुरानी बताई गई है। धार्मिक पुराणों में भगवान शिव का पहला निवास स्थान मंदार पर्वत रहा है। गुरुधाम आश्रम के आचार्य पंडित चन्द्रशेखर उपाध्याय ने कहा कि धार्मिक पुराणों के अनुसार भगवान शिव का पहला निवास स्थान मंदार पर्वत रहा है, जहां पर भगवान शिव का 80 हजार साल तक निवास स्थान रहा है।
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