बिहार के छपरा जिले में जह’रीली श’राब पीने से 70 से ज्यादा लोगों की मौ’त का मामला मंगलवार को एक बार फिर से संसद में गूंजा। इस मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम छपरा का दौरा करने जा रही है, जिसे लेकर ब’वाल शुरू हो गया।
राज्यसभा में कांग्रेस की लीडरशिप में विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाया और वॉकआउट कर गए। कांग्रेस के अलावा बिहार की सत्ताधारी पार्टी आरजेडी, जेडीयू ने इस मुद्दे पर हंगामा किया। यही नहीं तृणमूल कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर एकता दिखाई। इन सभी दलों ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह मानवाधिकार आयोग का बेजा इस्तेमाल कर रही है।
शून्यकाल में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। वहीं लोकसभा में भी यह मुद्दा उठा और भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद के अलावा लोजपा (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने भी इस पर चर्चा की मांग की। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि एनएचआरसी को छपरा का दौरा करना चाहिए और हालात का जायजा लेना चाहिए। यही नहीं चिराग पासवान ने तो बिहार में राष्ट्रपति शासन की मांग कर डाली और ज’हरीली श’राब कांड की सीबीआई से जांच कराने की मांग की। विपक्ष के सदन से वॉकआउट के बाद आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा कि भाजपा सरकार एनएचआरसी का राजनीतिक उपकरण के तौर पर इस्तेमाल कर रही है।
उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी हर तीन महीने में जह’रीली शरा’ब से लोगों के म’रने का मामला सामने आता है। लेकिन वहां का दौरा एनएचआरसी ने कभी नहीं किया। उन्होंने सवाल किया कि क्या मानवाधिकार आयोग ने कभी मोरबी का दौरा किया है या फिर यूपी के अलीगढ़ एवं मध्य प्रदेश और हरियाणा का दौर किया है? इस तरह के पक्षपात के विरो’ध में ही विपक्ष के दलों ने सदन से वॉकआउट किया है। टीएमसी की सांसद डोला सेन ने भी शून्य काल के दौरान यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यह दुख की बात है कि एनएचआरसी की टीम गुजरात या यूपी नहीं जाती है, लेकिन उसके पास बिहार और बंगाल जाने के लिए समय है।
डीजीपी बोले- इस साल सस्पेंड हो चुके 206 पुलिस वाले
इस बीच बिहार सरकार ने जह’रीली श’राब कांड को लेकर ऐ’क्शन तेज कर दिया है। 5 पुलिसवालों को इस मामले में सस्पेंड किया गया है। इसके साथ ही अब तक 206 पुलिसकर्मी ऐसे हैं, जो इस साल अवै’ध शरा’ब कारोबार के मामलों में निलंबित किए जा चुके हैं। बिहार के डीजीपी एसके सिंघल ने कहा कि हम लगातार दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों के खिलाफ ऐक्शन ले रहे हैं। 2020 में बिहार में 201 पुलिसकर्मी हटाए गए थे। इसके बाद 2021 में भी 172 के खिलाफ ऐक्शन लिया गया था।
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