बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने शरा’बबंदी पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ऐसा सुझाव दिया है, जिसपर सियासी महकमे में चर्चा शुरू हो गई है।
हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख मांझी ने कहा कि शरा’बंबदी की वजह से बिहार की जेलें भरी हुई हैं, इसपर समीक्षा करनी चाहिए। साथ ही एक क्वार्टर (पौआ) श’राब पीने वालों को नहीं पकड़ना चाहिए। मांझी का ये बयान बिहार में श’राब के उपभोग को रोकने के लिए नीतीश सरकार द्वारा अपनी रणनीति में बदलाव करने के बाद आया है।
मिली जानकारी के मुताबिक, जीतनराम मांझी ने मंगलवार को दिल्ली में मीडिया से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने श’राबबंदी पर खुलकर अपने विचार रखे। मांझी ने कहा कि वे शरा’बबंदी के पक्ष में हैं लेकिन शर्त है कि इसे सही से लागू की जाए। अभी आलम ये है कि शरा’ब पीने के आरो’प में गरीब लोग जेल में बंद हैं और बड़े-बड़े त’स्कर आराम से घूम रहे हैं। बिहार हो या गुजरात, हालात एक जैसे हैं।
मांझी ने बिहार में श’राबबंदी कानून की समीक्षा की मांग की। उन्होंने कहा कि पुलिस ब्रेथ एनेलाइजर से लोगों की चेकिंग करती है। ये मशीन कभी गलत भी बताती है। जेलों में 70 फीसदी लोग ऐसे बंद हैं, जो सिर्फ आधा लीटर या ढाई सौ ग्राम शरा’ब पीते हुए पकड़े गए। यह ठीक नहीं है। जो लोग सवा सौ या ढाई सौ ग्राम (एक क्वार्टर) श’राब पीते हैं, उन्हें नहीं पकड़ना चाहिए।
नीतीश बोले- श’राब बेचने वालों पर लगाम लगे
दो दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने श’राबबंदी की समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे शरा’बियों को पकड़ने के बजाय श’राब त’स्करों और बेचने वालों पर नकेल कसें। हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि श’राब पीने वालों के खिला’फ कार्रवाई नहीं होगी। सरकार ने साफ किया कि शरा’बबंदी कानून में फिलहाल कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है।
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