खगड़िया : बिहार के खगड़िया थाने से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। ऐसा कि आप भी चौंक जाएंगे। पुलिस अधिकारी भी सकते में हैं। लेकिन, यह मामला उनकी ही लापरवाही का भी है।
विक्रम कुमार नाम का व्यक्ति खुद को 2019 बैच का दारोगा बताकर नौकरी करता रहा। लेकिन, किसी को उसकी असलियत की आशंका भी नहीं हुई। इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब एक सामाजिक कार्यकर्ता ने एसपी से इसकी लिखित शिकायत की। इसके बाद से फर्जी दारोगा फरार बताया जा रहा है.
खुद को दारोगा बताकर इस शख्स ने एक-दो दिन नहीं बल्कि लगभग एक महीने तक थाने में नौकरी की। लेकिन किसी को इसकी भनक नहीं लगी। पुलिस की वर्दी पहनकर विक्रम कुमार नामक युवक थाने में काम तो काम कर ही रहा था, पुलिस की गश्ती, बैंकों में सीसीटीवी चेकिंग और वरीय अधिकारियों के साथ अनुसंधान में भी जाता रहा। इसके बाद भी किसी को उसकी असलियत का पता नहीं लगा।
दारोगा बनकर फर्जीवाड़ा करने का मामला बिहार के खगड़िया जिले के मानसी थाने का है। यहां लगभग एक महीने तक पुलिस की वर्दी पहनकर विक्रम काम करता रहा। जब मामले का खुलासा हुआ तो विभाग के अधिकारी भी दंग रह गए। हालांकि, मामले का खुलासा होने के बाद से फर्जी दारोगा भी फरार है।
एसपी को आवेदन देने के बाद ही मामले का खुलासा हुआ। जिले के गोगरी अनुमंडल के निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता मनोज मिश्रा ने खगड़िया एसपी अमितेश कुमार को लिखित शिकायत दी। आवेदन में उन्होंने मानसी थानाध्यक्ष दीपक कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि थाना प्रभारी एक युवक को पुलिस की वर्दी पहनाकर अपने पास रखे हुए हैं। उस युवक से थाने के कई काम भी कराये जा रहे हैं। आवेदन में उन्होंने उस युवक की पुलिस वर्दी पहने और खगड़िया के सदर एसडीपोओ के साथ अनुसंधान में जाते हुए फोटो भी एसपी को दिया। फर्जी दारोगा विक्रम कुमार द्वारा मानसी थाना क्षेत्र में विभिन्न बैंकों की चेकिंग करने के बाद बैंक में रखे रजिस्टर पर किया गया हस्ताक्षर का फोटो भी दिया है।
ऑडियो भी हो रहा वायरल
मानवाधिकार कार्यकर्ता मनोज मिश्रा ने विक्रम कुमार का एक ऑडियो भी वायरल किया है। इसमें वह बता रहा है कि उसने दारोगा की परीक्षा पास की, लेकिन राजगीर में ट्रेनिंग के लिए जगह नहीं थी। इसलिए मुंगेर डीआईजी के यहां योगदान दिया। इसके बाद उसे मानसी थाने में भेज दिया गया। विक्रम कुमार अपना एडमिट कार्ड से लेकर रिजल्ट तक दिखा रहा था।
थानाध्यक्ष पर उठ रहे कई सवाल
इस मामले में खगड़िया पुलिस लाइन के मेजर महेन्द्र कुमार का कहना है कि किसी भी पुलिसकर्मी का तबादला या नयी नियुक्ति होती है तो वह सबसे पहले पुलिस लाइन में मेजर के पास योगदान करता है। इसके बाद ही उसे थाने में भेजा जाता है। लेकिन, विक्रम कुमार तो कभी पुलिस लाइन आया ही नहीं। मानसी थाना प्रभारी ने जब फोन कर उनसे पूछा था तो उन्हें सारी जानकारी दे दी गई थी, ऐसे में सवाल यह कि कैसे बिना किसी आदेश के विक्रम कुमार मानसी थाने में कई दिनों तक ड्यूटी कैसे करता रहा।
सदर डीएसपी को सौंपी गयी मामले की जांच
पूरा मामला सामने आने के बाद खगड़िया एसपी अमितेश कुमार ने सदर एसडीपोओ सुमित कुमार को मामले की जांच सौंप दी है। उनका कहना है कि जल्द ही जांच रिपोर्ट एसपी को सौंप दी जाएगी। इसमें सबसे बड़ी चूक मानसी थानाध्यक्ष की बतायी जा रही है। आखिर बिना एसपी के आदेश के कैसे उसका थाने में योगदान करवाया गया और कैसे उससे काम लिया गया।
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