सीतामढ़ी : जिला मुख्यालय डुमरा से महज दो किलोमीटर दूर खैरवी गांव स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में ज़िला फाइलेरिया उन्मूलन पदाधिकारी डॉ रविन्द्र यादव के नेतृत्व में स्वास्थ्य कर्मियों की टीम पहुंची।
टीम का मुख्य उद्देश्य फाइलेरिया जैसी घातक बीमारी से लोगों को जागरूक कर दवा खिलाना था। इसी अभियान के तहत टीम जवाहर नवोदय विद्यालय में पहंुची। टीम ने स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ स्कूल के सभी कर्मचारियों को इस घातक बीमारी के लक्षण, बचाव और दवा की उपयोगिता की जानकारी दी।
चिकित्सक रविन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि फाइलेरिया एक घातक बीमारी है। ये साइलेंट रहकर शरीर को खराब करती है। यही कारण है कि इस बीमारी की जानकारी समय पर नहीं हो पाती। हालांकि सजगता से फाइलेरिया बीमारी से बचा जा सकता है।
आप भी जानें कि चूंकि इस बीमारी में हाथ और पैरों में हाथी के पांव जैसी सूजन आ जाती है, इसलिए इस बीमारी को हाथी पांव कहा जाता है। वैसे तो फाइलेरिया का संक्रमण बचपन में ही आ जाता है, लेकिन कई सालों तक इसके लक्षण नजर नहीं आते। फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बना देती है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने ने कहा फाइलेरिया चूंकि मच्छर के काटने से फैलता है, इसलिए बेहतर है कि मच्छरों से बचाव किया जाए। इसके लिए घर के आस-पास व अंदर साफ-सफाई रखें। उन्होंने कृपया खाली पेट दवा न खाएं। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोगों से ग्रसित लोगों को एमडीएमए के तहत दवा न दें।
दवा के दुष्प्रभाव सिरदर्द, बदन दर्द, मिलती और उल्टी आदि के रूप में प्रकट हो सकते हैं। यह रोग सामान्य उपचार से एक या दो दिनों में या मामूली दुष्प्रभाव ठीक हो जाते हैं। लेकिन, पूरी तरह से नहीं। मौके पर विद्यालय के करीब दो सौ छात्र-छात्राओं को सभी शिक्षकों और कर्मियों ने विद्यालय परिसर में दवा का सेवन किया।
बताते चलें कि जिले की जनसंख्या करीब 36 लाख है। इस कार्यक्रम के तहत तीन दवाओं एल्बेन्डाजोल, डीईसी और आइवरमैक्टिन का सेवन टीमों के माध्यम से आशा, आंगनबाड़ी और एनजीओ के सदस्यों की ओर से कराया जाना है।
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