सूबे की सरकार और उसके मंत्री अपनी कामयाबी का चाहे जितना भी डंका बजा लें, लेकिन हकीकत सामने आ ही जाती है। ताजा हाल सारण जिले के दिघवारा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है। यहां अपनी डयूटी बजाने के लिए जुगाड़ की नाव बनायी है।
इसी नाव के सहारे स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सकों को हर रोज बेड़ा पार कर नौकरी करना पड़ रहा है। जलजमाव के कारण स्थिति यह है कि सारण के दिघवारा स्थित प्रखंड कार्यालय में पांच फीट पानी जमा है। इसी परिसर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी है।
यहां स्वास्थ्य कर्मियों की परेशानी यह है कि ड्यूटी करें तो कैसे। आखिर अस्पताल तो जाना ही है। स्वास्थ्यकर्मियों ने इसके लिए जुगाड़ बनाया है। पोलियो वैक्सीन के दो डब्बों को बांस के सहारे जोड़कर नाव बनायी गयी है। इसी के सहारे ये लोग अपनी ड्यूटी बजा रहे हैं।
अब ऐसी हालत में मरीजों को क्या सुविधा मिलती होगी, यह तो भगवान ही जानें। अस्पताल के चिकित्सक डॉ. डीएन पंडित ने बताया कि अस्पताल में अभी ज्यादातर जानवरो के काटने से घायल लोग ज्यादा आ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि प्रसव के लिए गर्भवती महिलाओं का इस अस्पताल में आना बंद है। इसकी वजह है मुख्य सड़क से अस्पताल तक आने वाली सड़क और परिसर में पांच से सात फ़ीट तक पानी का जमा होना।
अस्पतालकर्मियों ने जुगाड़ के तहत पोलियो वैक्सीन के डब्बो को दो बांस के टुकड़ों पर रस्सियों के सहारे बाँध कर एक प्लेटफार्म नुमा नाव का निर्माण कर उसी के सहारे आवागमन करते हैं। जबतक बाढ़ का पानी निकलता और जमीन सूखती नही है, तब तक उन्हें जोखिम उठाते हुए जुगाड़ की नाव का सहारा लेते रहना होगा।
सरकार से एक नाव मिली भी तो उसका अता पता नही रहता है। यही हालत बीडीओ कार्यालय का भी है और उस भवन में भी आने जाने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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