गुजरे वित्तीय वर्ष में भी क्षेत्र के यात्रियों ने दरभंगा जंक्शन को आय के नजरिए से पूरे समस्तीपुर रेल मंडल पर टॉप स्थान दिलाया है. हालांकि, इसके बावजूद रेल प्रशासन का विशेषकर दरभंगा के यात्रियों के लिए जरूरी सुविधा के विकास पर ध्यान नहीं है.

दूसरे स्टेशनों के उन्नयन पर फोकस नजर आ रहा है. लिहाजा सर्वाधिक आमदनी देने के बावजूद यहां के यात्रियों को मुकम्मल सुविधा नहीं मिल रही है. दशकों से भेंड़-बकरियों की तरह सफर करने के लिए विवश हैं. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024-25 में दरभंगा जंक्शन से रेलवे को 199 करोड़ रुपये की आय हुई. यह पूरे समस्तीपुर रेल मंडल में सर्वाधिक है.

मंडल मुख्यालय समस्तीपुर दूसरे पायदान पर है. समस्तीपुर जंक्शन से 159 करोड़ की आमद हुई. जिन स्टेशनों के विकास पर महकमा का अधिक ध्यान दिखता है, वे इस मामले में दरभंगा से मीलों पीछे हैं.

मसलन सहरसा 87 करोड़, बापूधाम मोतिहारी 53 करोड़ तो रक्सौल 49 व जयनगर की वार्षिक आमदनी 44 करोड़ रही. सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार, इस टेबुल में नीचे 15वें स्थान पर चकिया स्टेशन है, जहां से रेलवे को मात्र 12 करोड़ रुपये की आय हुई.

दो फरवरी 1996 को दरभंगा-समस्तीपुर रेल खंड के आमान परिवर्त्तन के बाद से ही दरभंगा जंक्शन पर यात्रियों की भीड़ उमड़ने लगी थी. उस समय मधुबनी, सीतामढ़ी के साथ सहरसा-सुपौल तक से यात्री यहां से सफर करने के लिए पहुंचते थे.

एक समय ऐसा भी था कि दरभंगा की आय मंडल कौन कहे, पूरे पूर्व मध्य रेल में टॉप थ्री में रहती थी. इसके बावजूद रेल प्रशासन ने दरभंगा जंक्शन का समुचित विकास करने के बजाय परोक्ष रूप से आय कम करने के लिए यात्रियों से खचाखच भरकर चल रही गाड़ियों का यहां से दूसरे स्टेशनों पर विस्तार शुरू कर दिया. अधिकांश गाड़ी जयनगर भेज दी गयी.

कुछ ट्रेनों का विस्तार सीतामढ़ी-रक्सौल कर दिया गया. जाहिर तौर पर इसका असर आय पर पड़ा. मुंबई जानेवाली पवन एक्सप्रेस, कर्मभूमि एक्सप्रेस, नई दिल्ली जानेवाली स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस, पुरी एक्सप्रेस सरीखे कई ट्रेनों के नाम इस फेहरिस्त में है.


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