सत्ता की दहलीज तक आते-आते रह गया राजद अब हार की समी’क्षा में जुट गया है। शुक्र’वार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने हार चुके उम्मीद’वारों के साथ बैठ’क की। पूर्व सीएम राबड़ी देवी के सरकारी आ’वास दस सर्कुलर रोड में हुई इस बैठक में प्रदेश राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह भी मौजूद थे।
इस चुना’व में पार्टी 144 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। पार्टी को 75 सीटों पर जीत हा’सिल हुई जबकि 69 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इन सीटों पर पार्टी को किन कारणों से परा’जय का साम’ना करना पड़ा, इसी को लेकर राजद ने समी’क्षा की। खासकर वैसी सीटें जहां मामूली अंतर से पार्टी को हार मिली। आखिर किन परि’स्थितियों में पार्टी को कम वोटों से हारना पड़ा, इस पर विम’र्श हुआ। तेजस्वी ने हार के कारणों का निदान करने की बात कही ताकि भविष्य में पार्टी का प्रदर्श’न और बेहतर हो सके।
राजद के वरिष्ठ ने’ता पूर्व मंत्री शिवानंद तिवारी ने कहा है कि इस चुनाव को कई बातों के लिए इति’हास में दर्ज किया जाएगा। सबसे पहले यह कि तेजस्वी यादव का अप्रत्या’शित रूप से एक मजबूत नेता के रूप से उभकर सामने आना। तीन माह पहले तक लोग यह मान’कर चल रहे थे कि तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले गठ’बंधन के मुकाबले में खड़े भी नहीं हो पाएंगे। लेकिन जिस प्रकार तेजस्वी ने चु’नाव का अभियान चलाया, उससे उनकी एक नई छवि उभर कर सामने आई।
उन्होंने कहा कि पहली बार भाजपा को नीतीश कुमार की वजह से एक म’जबूत जमीन मिल गई। चिराग ने जदयू को नुक’सान पहुंचाया, आंशिक सत्य है। पूरा स’त्य तो यह है कि चिराग ने भाजपा के ही एजेंडा को पूरा किया है। हकी’कत है कि नीतीश कुमार का वोट तो भा’जपा को मिला पर भाजपा का वोट नीतीश के बदले चिराग के उम्मी’दवारों को मिल गया। पीएम या जेपी नड्डा ने एक बार भी नहीं कहा कि चिराग के उम्मीद’वार को वोट देने वाले भाज’पा और नरेंद्र मोदी के विरोधी हैं। कांग्रेस का जो हाल हुआ है, उससे अब भाजपा का विकल्प बनने की उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। गैर भाज’पा राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच समन्वय कर एक राष्ट्रीय विक’ल्प बनाने की दिशा में प्रयास किया जाना चाहिए।
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