होली के उमंग में पूरा देश सराबोर है। कहीं चिकने चेहरे को लाल-पीले रंग से रंगीन किया जा रहा है तो कहीं गुलाल लगाकर चिकने चेहरे को गुलाबी बनाया जा रहा है। हरकोई होली के उमंग से लबरेज़ है। आइए आपको बताते हैं एक ऐसी होली जो मुर्दघटिया में मनाई जा रही है।

जी हां, अपने देश भारत में ही एक ऐसी जगह है जहां लाशों के बीच होली मनाई जाती है। वो जगह है बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी। बनारस जिसे अब वाराणसी कहा जाता है वहां मुर्दों की स्थली में भी होली मनाई जा रही है। होली भी ऐसी जो शायद कहीं और ना होती हो। ये होली है श्मशान की होली।

वाराणसी में श्मशान घाट पर भी होली मनाई जाती है। यहां ऐसे श्मशान घाट हैं जहां रंगों का त्योहार होली भी मनाया जाता है। ये श्मशान घाट हैं हरिश्चंद्र घाट और मणिकर्णिका घाट। यहां अलग अलग दिन होली खेली जाती है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार बाबा विश्वनाथ मां गौरी को रंगभरी एकादशी को गौना कर विदा कर विश्वनाथ धाम ले आये तो भक्तों और काशीवासियों ने होली मनाई थी। हरिश्चंद्र महाश्मशान घाट पर अघोरी शरीर पर भस्म लपेटे, चिता भस्म और ग़ुलाल से होली खेलते हैं। अघोरी नागा संन्यासी, औघड़ और आमलोग शिव भक्ति में शिव की प्यारी नगरी काशी में मसान (श्मशान) की होली खेलते हैं।


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