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ठंड के साथ स्वाद का मजा: तिलकुट से सजा बाजार, गया और नवादा से बुलाए गए कारीगर

मकर संक्रांति को लेकर शहर की फिजा में तिलकुट की सोंधी खशबू बिखरने लगी है.शहर में कई दुकानें में कारीगर तिलकुट बनाने में दिन-रात लगे हुए हैं. हर साल बढ़ रही कीमत ने इस बार भी तिलकुट का भाव बढ़ा दिया है. पिछले साल की तुलना में इस साल तिलकुट की कीमत में 20 से 40 रुपये प्रतिकिलो इजाफा हुआ है। इसके बाद भी तिलकुट खाने के शौकिन खरीदारी कर रहे हैं।

Sweet fragrance of tilkut spread in the city markets, demand for khova  tilkut is highest | हर चौक पर खुलीं दुकानें: शहर के बाजारों में फैली तिलकुट  की सोंधी खुशबू, खोवा वाले

गया के तिलकुट की अपनी एक अलग पहचान है। गया का तिलकुट खास्ता होने साथ ही स्वादिस्ट भी होते हैं। खास्ता व स्वादिस्ट तिलकुट बनाने के लिए मुंगेर में गया और नवादा के कारीगर बुलाए गये हैं। जबकि तिल कानपुर से मंगाए गये हैं। शहर में गांधी चौक, राजीव गांधी चौक, सादीपुर, बेकापुर सहित अन्य जगहों पर दुकानें खुल गयी है.मकर संक्राति तक तिलकुट की बिक्री को देखते हुए कारीगरों को कहीं डेढ़ तो कहीं दो महीने के लिए बुलाया गया है. तिलकुट बनाने के लिए दुकानों पर तिल की कुटाई के साथ गुड़ एवं चीनी की चासनी बनाने में कारीगर लगे हुए हैं।

Makar Sankranti Tilkut shops in Gaya were decorated | अब फैलेगी तिल की  सोंधी महक, मकर संक्रांति के पहले ही सज गई गया में तिलकुट की दुकानें | Hindi  News, Bihar

राजीव गांधी चौक स्थित एक दुकान में तिलकुट बनाने कारीगरों ने बताया कि तीन लोगों के साथ यहां तिलकुट बनाने आए हैं. मकर संक्राति तक यहां रहेंगे.उन्होंने बताया कि चीनी की मात्रा कम होने के साथ खास्ता होना अच्छे तिलकुट की पहचान है. उन्होंने बताया कि तिलकुट बनाना आसान नहीं है.तिल की कुटाई में बड़ी मेहनत लगती है. तिलकुट बनाने के लिए पहले चीनी या गुड़ की चासनी बनाते हैं. चासनी सूखने पर उसके रेशे को निकाला जाता है, फिर कूटे गये तिल को भूनकर ठंडा होने पर उसमें रेशे को मिलाकर गर्म किया जाता है. इसके बाद तिल एवं चीनी या गुड़ के रेशे के मिश्रण को लोहे से पीटकर तिलकुट का आकार दिया जाता है।

दुकानदार ने बताया कि हर साल गया और नवादा से काारीगर बुलाते हैं.चीनी एवं गुड़ के तिलकुट में 20 रुपये प्रति केजी की वृद्धि हुई है. चीनी का तिलकुट 280 तो गुड़ का तिलकुट 300 रुपये केजी बिक रहा है. उन्होंने बताया कि तिल, चीनी, गुड़, जलावन एवं मजदूरी में वृद्धि होने से कीमत में भी वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा इस बार मंहगाई के कारण बजारों में कम लोग तिलकुट की खरीदारी कर रहे है.

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