भागलपुर में धूमधाम से मां काली की प्रतिमा स्थापित हुई। जिले के बहबलपुर में बिहार की सबसे बड़ी काली प्रतिमा स्थापित की जाती है. यहां की प्रतिमा 32 फीट की बनाई जाती है. मां काली का चेहरा पांच फीट का तो जिह्वा 3 फिट का है तो दोनों नेत्र की लंबाई 18-18 इंच की है। मां काली के पूजा अर्चना के लिए कई जिलों से हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं यहाँ मन्नत मांग रहे हैं। मन्दिर का इतिहास 400 साल से भी ज्यादा पुराना है।
बताया जाता है कि इस गांव में कालीचरण नाम का एक व्यक्ति हुआ करता था जो एक नदी में स्नान करने गया था और उस पर मां काली सवार हो गई थी. तभी जब वह गांव पहुंचा तो स्थान मांगने लगा और उन्हें स्थान दिया गया. एक पिंडी के रूप में मां काली को स्थापित की गई और तभी से पूजा जाने लगा.
सबसे खास बात कि यहां पर मंदिर का निर्माण नहीं हो सकता है. उन्होंने बताया कि कई बार मंदिर बनाने का प्रयास किया गया, लेकिन उसके साथ कोई ना कोई अनहोनी जरूर हो जाती है. इसलिए माँ को खुले में रहना पसंद होता है।
मां काली की करीब 32 फीट ऊंची प्रतिमा होती है, उनकी आंख डेढ़ फुट की होती है. वहीं अगर जीभ की बात करें तो करीब 3 फीट की जीभ होती है. देखने में काफी आकर्षक लगता है. तांत्रिक विधि से पूजी जाने वाली माता का विशेष महत्व भी है. अमावस्या की रात्रि में कई तांत्रिक मां काली की आराधना कर तंत्र विद्या का ज्ञान हासिल करते हैं. मां को मनाने के लिए तांत्रिक भी लगे रहते हैं. इस मंदिर की एक और खासियत है. विसर्जन में हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं जिसकी भव्यता देखते बनती है।
Be First to Comment