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बिहार में दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन में करें पर्यावरण की चिंता, मूर्ति विसर्जन से पहले पढ़ लें ये नियम

बिहार में शारदीय नवरात्र की धूम है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू यादव से लेकर आमजन तक सभी माता दुर्गा की भक्ति कर रहे हैं। ऐसे में आज विजयदशमी से माता की प्रतिमाओं के विसर्जन का क्रम शुरू हो जाएगा। इसी कड़ी में मूर्ति विसर्जन को लेकर बिहार सरकार ने अधिसूचना भी जारी की है।

बिहार सरकार के तरफ से अधिसूचना जारी कर कहा गया है कि, राज्य सरकार ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण पूर्वी क्षेत्र पीठ कोलकाता की ओर से पारित आदेश के आलोक में इस संबंध में स्थानीय प्रशासन और पूजा समितियों को निर्देश दिए हैं।

 

वहीं, जो अधिसूचना जारी की गई है उसके मुताबिक प्रत्येक पूजा समिति सुनिश्चित करेगी कि पूजन सामग्री जैसे फूल और कागज और प्लास्टिक से बनी अन्य सजावटी सामग्री को मूर्त्तियों के विसर्जन से पहले हटा लिया गया है और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 के अनुसार निपटान के लिए जैव-विघटनीय सामग्रियां अलग कर ली गई है। इसके प्रत्येक पूजा समिति सुनिश्चित करेगी कि सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल मूर्ति विसर्जन की व्यवस्था की गई है।

प्रत्येक पूजा समिति सुनिश्चित करेगी कि मूर्ति विसर्जन के संबंध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली द्वारा मूर्त्ति निर्माण एवं इसके विसर्जन के लिए 12 मई, 2020 को जारी संशोधित मार्गदर्शिका का कड़ाई से पालन किया गया है।

उधर, मूर्ति विसर्जन कृत्रिम तालाबों में होंगे। किसी भी प्रवाह में मूर्ति विसर्जन पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। मूर्तियों के विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाबों को इतनी बड़ी संख्या में बनाना जो भीड़-भाड़ से बचने और प्रदूषण के भार को कम करने के लिए पर्याप्त हो।

मूर्तियों का विसर्जन पुलिस प्राधिकार या जिला प्राधिकार द्वारा निर्धारित समय-सारणी के अनुसार किया जाएगा। विसर्जन स्थल पर जनित ठोस कचरा यथा-फूल, कपड़ा, सजावट सामग्री आदि के जलाने पर रोक लगाना। यह सुनिश्चित करना कि मूर्तियों के विसर्जन के 48 घंटे के भीतर मूर्तियों का अवशेष, संचित मलबा, पुआल या जूट की रस्सी आदि और मूर्तियों के विसर्जन से संबंधित अन्य सभी अपशिष्ट पदार्थों को हटा दिया जाएगा।

 

 

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