सावन के पंद्रहवें दिन सुल्तानगंज से देवघर जाने वाले पथ पर कांवरियों की भीड़ लगी है। सावन की तीसरी सोमवारी के अवसर पर बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करने के लिए भक्त कांवर लेकर निकल रहे हैं। सवेरे से ही मुंगेर के कच्ची कांवरिया मार्ग में शिवभक्तों का तांता लगा है।
कांवरियों के द्वारा लगाये जा रहे बोल बम का जयधोष से समस्त मार्ग गुंजायमान हो रहा है। शिवभक्त एक से एक सजे धजे कांवर लेकर बाबा नगरी की ओर जा रहे हैं। सभी गेरूआ वस्त्र धारियों के मुख पर बोल बम का महामंत्र निकल वातावरण को भक्तिमय बना हुआ है।
इस बीच पश्चिम बंगाल के हावड़ा से आए कांवरिया संघ को शिव आकृति प्रतिमा वाला कांवर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस को कांवर पर जल लेकर शिवभक्तों का यह दल बाबा नगरी की ओर प्रस्थान कर चुका है।
मार्ग में गुजरने वाले कांवरियों की निगाह विशाल शिव आकृति के इस कांवर पर पड़ते ही कांवरिया के मुख से ऊँ नमः शिवाय के महामंत्र का जयघोष वातावरण में गुंजायमान होने लगता हैं।
इस अनोखे कांवर से गंगाजल लेकर देवघर जा रहे हावड़ा कांवर संघ के एक सदस्य ने बताया कि पिछले 11वर्षों से कांवर यात्रा पर यह दल जा रहा है। हर बार सभी साथी के द्वारा मिलकर बनाये गये शिव के अलग अलग स्वरूप वाली प्रतिमा कांवर पर स्थापित की जाती है। इसे लेकर भक्त बाबा नगरी पहुंचते हैं। बाबा की असीम कृपा होती है कि कांवर का वजन 208 किलो का होने के बावजूद रत्ती भर भी परेशानी महसूस नहीं होती है।
सुल्तानगंज से 105 किलोमीटर का यह लंबी पैदल यात्रा कैसे कट जाती है, यह पता ही नहीं चलता है। औघड़दानी की लीला अपरम्पार है। बाबा भोले से अपना आशिर्वाद सभी पर बनाये रखने की हर बार कामना करता हूं,बोल बम ।
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