कटिहार : गरीबी मजबूरी हो सकती है मगर कभी भी मजबूत इरादा रखने वालों के लिए यह सफलता में बाधक नहीं बन सकती. तमाम विपरीत परिस्थितियों को झेलते हुए कटिहार मनिहारी के सुकरात सिंह ने दारोगा की परीक्षा में सफलता हासिल की है.
कटिहार के मनिहारी मेदनीपुर से गंगा के कटाव से अपना घर बार और खेत गंवा चुके सुकरात के पिता कैलाश सिंह ने मनिहारी आकर रेलवे स्टेशन के पीछे चाय बेचनी शुरू की थी. सुकरात भी पिता के साथ चाय दुकान में हाथ बंटाता था; मगर उसकी दिली ख्वाहिश वर्दी पहनने की थी. सुकरात ने इंटरनेट और यूट्यूब के माध्यम से खुद को दारोगा की परीक्षा के लिए तैयार किया और अब जब सफलता मिली तो अब हर कोई हैरान है.
सुकरात इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हुए भविष्य के लिए एक होनहार पुलिस अधिकारी बनने की बात कह रहे हैं. वहीं जीवन की कई कठिनाइयां देख चुके सुकरात के पिता कैलाश सिंह अपने बेटे की सफलता से बेहद खुश हैं. निश्चित तौर पर परिस्थिति चाहे जितनी भी विपरीत हो अगर मेहनत, लगन और तकदीर साथ दे तो हालात को बदलते देर नहीं लगती.
दरअसल, सुकरात सिंह कटिहार के मेदनीपुर के रहने वाले है. पर गंगा के कटाव से अपना घर, खेत सब कुछ गवाने के कारण बीस साल पहले सुकरात सिंह के पिता कैलाश सिंह मनिहारी के रेलवे स्टेशन के पीछे चाय बेचने का काम शुरू किया.
सुखरात भी अपने पिता के साथ चाय की दुकान में सहायता करते थे. पर उनकी दिली इक्छा वर्दी पहनने की थी. इसी सपने को पूरा करने के लिए वह इंटरनेट, यूट्यूब से दारोगा की परीक्षा की तैयारी करते रहे. वह दिन रात इंटरनेट और यूट्यूब से दारोगा की परीक्षा के लिए खुद को तैयार करते रहे.
सुकरात सिंह के पिता ने चेहरे पर मुस्कान और आंखों में गर्व लिए हुए बोले की हां पता है बेटा दारोगा बन गया है; उसने अपनी मेहनत से यह सब प्राप्त किया है. उसने अपना भविष्य खुद संवारा है. वहीं, सुकरात सिंह इस सफलता का श्रेय अपने माता पिता को देते हैं, और भविष्य में एक ईमानदार और होनहार पुलिस अधिकारी बनने की बात कह रहे हैं. जाहिर है सुकरात सिंह का जीवन आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं.
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