दरभंगा : डीएमसीएच के डॉक्टरों ने स्टाइपेंड की बढ़ोतरी की मांग को लेकर बुधवार से कार्य बहिष्कार किया। उन्होंने खुद को ओपीडी की सेवा से अलग कर लिया है। इससे अस्पताल की चिकत्सीय वयवस्था चरमरा गई है।
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि बिहार में एमबीबीएस पास इंटर्न की स्टाइपेंड अभी मात्र 15 हजार रुपये प्रति माह के हिसाब से दी जा रही है। यह प्रतिदिन के पांच सौ रुपये होते हैं। उन्होंने बताया कि यह राशि एक राजमिस्त्री से भी कम है। उन्होंने कहा कि जबतक हमारी मांगों पर कार्रवाई नहीं की जाती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।
इधर, जूनियर डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के कारण दूर दराज से इलाज के लिए डीएमसीएच पहुंचे मरीजों और उनके परिजनों को काफी परेशानी हो रही है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर वो जाएं तो जाएं कहां। कुछ मरीज और उनके परिजन निराश होकर वापस अपने घर लौट रहे हैं। हालांकि, कुछ मरीज अभी भी इलाज करने की आशा में बैठे हुए हैं।
एमबीबीएस पास इंटर्न का कहना है कि सरकार ने पिछले चार सालों से स्टाइपेंड का पुनरीक्षण नहीं किया है। जबकि अंतिम बार 2017 में सरकार ने एक व्यवस्था दी थी कि हर तीन साल पर इसका पुनरीक्षण होगा। लेकिन, सरकार अपने संकल्प से लगातार पीछे भाग रही है। अपनी मांगों को लेकर हमलोगों ने कई बार आंदोलन किया। लेकिन, आश्वासन के अलावा हमलोगों को किसी प्रकार का लाभ आज तक नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में मरीजो की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। डॉक्टरों पर इसका लोड भी बढ़ रहा है। इसे हर कोई भली भांति समझता है।
कई बार लगातार तो हमलोगों को 24-24 घंटे तक इमरजेंसी में डयूटी करनी पड़ती है। इसके बदले सरकार सिर्फ हमें पांच सौ रुपये देती है। यह राशि इतनी कम है कि हमे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बताने में भी ठीक नहीं लगता। हमलोगों की मांग हैकि स्टाइपेंड कि इस राशि को बढ़ा कर कम से कम एक सम्मानजनक राशि 27 हजार रुपया कर दिया जाए।
Be First to Comment