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#MUZAFFARPUR के मड़वन में जैवि’क खेती के जरिए जीवन के सप’ने बुन रहा किसान राजेश रंजन

MUZAFFARPUR :  ‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, को’शिश करने वालों की कभी हा’र नहीं होती,’
राजेश रंजन कुमार के सामने जब जिंदगी पहा’ड़ की तरह खड़ी थी, तब उसका हि’म्मत का ज’ज्बा ही काम आया। यह ज’ज्बा अब पूरे गांव को प्रे’रित कर रहा है। अपने हाथों से अपनी कि’स्मत बदलने वाले रंजन अब युवाओं की कि’स्मत उनकी मेहनत से लिख रहे हैं। रंजन ने लगन और मेहनत से साबित कर दिय कि किस्मत के भरोसे बैठे रहने से कुछ हासिल नहीं होने वाला। किस्म’त बदलनी है तो तब तक निरं’तर क’ठोर मेह’नत करते रहनी है, जब तक मंजिल नहीं मिल जाए। इसी आत्मवि’श्वास की बदौ’लत रंजन ने कृषि क्षेत्र में अपना झंडा बुलं’द कर दिया।

जै’विक घोषित हुआ गांव
रसा’यन छोड़ जै’विक खेती अपनाने से जहां कृषि उत्पा’दन में आशातीत वृद्धि हुई, वहीं आर्थिक सम्पन्नता आने से किसान खुशहाल बने। मुजफ्फरपुर के मड़वन प्रखंड की गवसरा पंचायत के भागवतपुर गांव निवासी राजेश रंजन की बदौ’लत यह गांव अब जिले का एकमात्र जै’विक ग्राम घो’षित किया जा चुका है। राजेश ने कभी चुनौ’तियों के सामने सिर नहीं झु’काया, बल्कि हर चुनौ’ती का तब तक ड’टकर मुका’बला किया, जब तक उसे सफलता में नहीं बदल लिया। जै’विक खेती के जरिए जीवन के स’पने बुनना राजेश के लिए आसान नहीं रहा। इस चौबीस वर्षीय युवा के सिर से पिता का सा’या उठ गया। जीवि’कोपार्जन के लिए एकमात्र खेती ही आधार रह गया। खेती से परिवार चलाने मे आने वाली मुश्कि’लों ने नई राह सु’झा दी, वह थी जैवि’क खेती की।

जैविक खेती से आमदनी
पारंपरिक धान और गेहूं की खेती करने के बजाय वे जै’विक तरीके से सब्जी की खेती करना राजेश को मुनाफे का सौदा लगा। इसकी मांग बाजार में अधिक है। जै’विक खेती के गुर इन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र सरैया में सीखे। पिता के द्वारा विरासत में मिली मात्र दो हेक्टेयर जमीन पर जै’विक पद्धति से सब्जी की खेती कर ये साल में लगभग ढाई से तीन लाख रुपये तक की आमदनी कर लेते हैं।

लहसुन रो’पने का यंत्र बनाया
हाल ही में इन्होंने खुद की तकनीक से लहसुन रो’पने का यंत्र भी तैयार किया है। ये कहते हैं कि खेती से संबंधित विशेष जानकारी इन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र सरैया, डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, आइसीएआर पूसा दिल्ली, नेशनल वर्कशॉप ऑन मार्केटिंग स्मार्ट बैकुंठ मेहता नेशनल इंस्टीट्यूट आफ को-ऑपरेटिव मैनेजमेंट पुणे महाराष्ट्र , वेलनेस एक्सपो 2017 व 2018 में बिहार की ओर से प्रतिनि’धित्व करते हुए प्राप्त की।

बूंद-बूंद सिंचाई को ब’ढ़ावा
इन्होंने गांव के अन्य किसानों को जाग’रूक करते हुए सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन तक’नीक को ब’ढ़ावा दिया है। इसे देखते हुए निकरा (नेशनल इनोवेश्न्स ऑन क्लाइमेट रेजिलिएन्ट एग्रीकल्चर) ने भागवत पुर को गोद लिया और सप्ताह में दो दिन यहां के लोगों को मौसम व कृषि से जुड़ी हुई जानकारी दी जाती है। वही इन्हेंं निकरा के एफआइएफ के रूप में चयन भी किया गया है। इसके अलावा क्लाइमेट रेजीलिएंट एग्रीकल्चर फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड के मुख्य सला’हकार भी ये बनाए गए हैं। इसके साथ ही इन्हेंं कृषि विज्ञान केंद्र सरैया के वैज्ञानिक सलाहकार समिति का सदस्य भी बनाया गया है।

मिला जैविक किसान का सम्मान
राजेश ने आ’त्मा द्वारा रजिस्टर्ड कृषक हित समूह का भी गठन किया है। इसके माध्यम से गांव के किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र से जोड़कर मिट्टी जांच, वर्मी कंपोस्ट उत्पा’दन आदि का प्रशिक्षण दिलवाते हैं। गांव के 70 फीसद किसान खुद का उत्पा’दित कंपोस्ट का प्रयोग करते हुए जैवि’क खेती कर रहे हैं। इसी को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2018 में भागवत पुर को जैविक ग्राम घो’षित किया था। वही इन्हेंं जैविक किसान के रूप में सम्मानित भी किया गया था।

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