वैशाली : बाढ़ का पानी और अधिक बारिश होने के कारण गोरौल में पान की सफल बर्बाद हो गई है। पान की खेती करने वाले किसानों का पान पानी से गलकर खराब हो चुका है। इससे किसान भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है।
प्रखंड क्षेत्र में पान की खेती के लिए मशहूर गांव गोरौल भगवानपुर पंचायत के धाने गोरौल गांव जहां 80 प्रतिशत लोग पान की खेती पर निर्भर है। प्रखंड के धाने गोरौल, आदमपुर, लोदीपुर, बेलवर, बरेबा सहित कई जगहों पर पान की खेती बड़े पैमाने पर होती है।
पान की सफल को किसान नकदी फसल मानते है। गोरौल के पान की बाजारों में डिमांड अधिक है। सैकड़ों परिवार इस खेती से जुड़ा हुआ है। धाने गोरौल गांव की खुशहाली पान की खेती पर निर्भर है। यहां का पान पटना, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, मोतिहारी, बेतिया, नेपाल सहित दूसरे प्रदेशों में भी भेजी जाती है।
किसान राम विचार चौरसिया, बैजू चौरसिया, रामजन्म चौरसिया, देव लाल राय, लालू राय, राजदेव राय, नवीन चौरसिया, रामा महतो, रामनाथ चौरसिया सहित कई लोगों ने बताया कि पान की फसल जितनी फायदेमंद है उतनी खेती चुनौतीपूर्ण भी है।
कोरोना वायरस को लेकर बंद पान की दुकानें पर बिक्री न के बराबर हुई है। अब बारिश का पानी खेतों में दो फीट तक लगा हुआ है जिससे फसल गल रहा है। लाखों रुपये कर्ज लेकर खेती किया और जब फसल तैयार होने पर आया तो बाढ़ और बारिश के पानी ने कहर ढा रहा है।
पूर्व पैक्स अध्यक्ष रामजन्म चौरसिया ने बताया कि किसानों ने बैंकों और साहूकारों से कर्ज लेकर खेती किया। पूरे परिवार मेहनत भी किया था। उम्मीद थी कि अब लॉकडाउन समाप्त हो चुका है।
बाजारों में पान की डिमांड बढ़ेगी और कमाई अच्छी होगी, इससे कर्ज को चुकता कर दिया जाएगा, लेकिन बाढ़ और बारिश से पान की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। कई दिनों से पान के खेतों में बने नालों में पानी भरा हुआ है। पानी निकलने का कोई रास्ता नहीं है।
ऊपर से हो रहे लगातार बारिश से पान की खेती करने वाले किसान काफी चिंतित है। पान एक ऐसा फसल है जिसे फुस का घर बनाकर उसके अंदर लगाया जाता है, साथ ही उसे अधिक धूप, पानी और ठंड से भी बचाना पड़ता है।
रोपाई से लेकर पान का पत्ता तोराई तक प्रतिदिन खेतों में काम करना पड़ता है। लोग इसे नकदी फसल कहते है। इतना महत्वपूर्ण फसल को आज तक सरकार कृषि का दर्जा नहीं दिया। इस गांवों के किसान ने सरकार से मांग की है कि केसीसी लोन माफ करते हुए क्षतिपूर्ति दिया जाए।
यदि सरकार द्वारा सहायता नहीं मिली तो किसानों को आंदोलन के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा। अंचलाधिकारी ब्रजेश कुमार कुमार पाटिल ने बताया कि फसल क्षति से संबंधित रिपोर्ट सरकार के पास भेजी गई है। यदि क्षतिपूर्ति से संबंधित कोई आदेश मिलता है तो किसानों को त्वरित सहायता राशि दिया जाएगा।
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