मुजफ्फरपुर जिले में सात नयी नगर पंचायतों का गठन हुए दो साल से अधिक का समय बीत चुका है. लेकिन, यहां अभी तक संपत्ति कर का न तो निर्धारण किया गया है और न ही इसकी वसूली शुरू हो पायी है.

यह चौंकाने वाली बात है कि नगर पंचायतें गठित होने के बाद भी इस महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. इस कारण जहां नवगठित नगर पंचायतों में निवास करने वाले लोगों पर टैक्स का बोझ ब्याज सहित बढ़ रहा है.

वहीं, प्रॉपर्टी टैक्स निर्धारित करने को लेकर होने वाली सड़कों की वर्गीकरण नहीं होने से रजिस्ट्री ऑफिस को जमीन की खरीद-बिक्री से प्राप्त होने वाली राजस्व में भी काफी कमी है.

दूसरी तरफ, नगर विकास एवं आवास विभाग ने सभी नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पंचायतों को संपत्ति कर से संबंधित जानकारी गूगल फॉर्म के माध्यम से 24 घंटे के अंदर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.

हालांकि, मुजफ्फरपुर की इन सात नयी नगर पंचायतों में संपत्ति कर निर्धारण और वसूली की प्रक्रिया शुरू ही नहीं होने से यह जानकारी देना संभव नहीं है. यह स्थिति इन नवगठित नगर पंचायतों के विकास पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाना है.

संपत्ति कर स्थानीय निकायों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत होता है, जिससे वे अपने क्षेत्र में विकास कार्य और नागरिक सेवाएं प्रदान करते हैं. इसके अभाव में इन नगर पंचायतों में विकास कार्य बाधित होने की आशंका है.

देखना होगा कि नगर विकास एवं आवास विभाग इस मामले में क्या कार्रवाई करता है और इन नगर पंचायतों में संपत्ति कर निर्धारण और वसूली की प्रक्रिया कब तक शुरू हो पाती है.

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