पटना : जन सुराज के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने बिहार में चल रहे जमीन सर्वे की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। पीके ने कहा कि जमीन सर्वे को लेकर समाज में असंतोष फैलने की आशंका पहले से है। 6 महीने बाद राज्य के हर घर, हर गांव-पंचायत में जमीनों को लेकर झगड़े होंगे। भूमि सर्वेक्षण आने वाले समय में संपत्ति विवाद का सबसे बड़ा कारण बनने वाला है। पीके ने दावा किया कि इसलिए राज्य सरकार इसे टालने पर विचार कर रही है। ऐसे में उनकी सर्वे को लेकर की गई भविष्यवाणी सच होती दिखाई दे रही है।
प्रशांत किशोर ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि जिस तरह से जमीन सर्वे को लागू किया जा रहा है, उससे झगड़े होना स्वाभाविक है। इस सर्वेक्षण को बिना किसी तरह की तैयारी और संसाधन की व्यवस्था किए शुरू किया गया है। यह ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कुछ दिन पहले बिहार में जमीन रिकॉर्ड का डिजिटाइजेशन किया गया, जो कि बिना किसी तैयारी के बाहरी एजेंसी के द्वारा करा दिया गया था।
पीके ने कहा कि उसमें यह तय हुआ कि जो ज्यादा डिजिटाइजेशन करेगा, उसे उतना ही ज्यादा पैसा मिलेगा। इसी के चलते हड़बड़ी में किसी की जमीन किसी के भाई के नाम और भाई की जमीन भतीजे के नाम पर कर दी गई। इससे गांवों में विवाद की स्थिति बन गई है। उन्होंने कहा कि अब फिर से हड़बड़ी में बिना किसी तैयारी के लिए जमीन सर्वे लाया गया है, जो कि आने वाले समय में संपत्ति से जुड़े झगड़ों का सबसे बड़ा कारण बनने वाला है। बता दें कि कुछ दिनों पहले भी प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि भूमि सर्वेक्षण की वजह से आने वाले समय में जमीन विवाद बढ़ जाएंगे और जेडीयू के नेताओं को लोग दौड़ा-दौड़ाकर पीटेंगे।
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