पटना: भोजपुरी स्टार और भाजपा नेता पवन सिंह ने काराकाट लोकसभा क्षेत्र के चुनावी अखाड़े में उतरने की घोषणा कर इस इलाके की सियासी हलचल बढ़ा दी है। काराकाट में एनडीए के घटक दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेन्द्र कुशवाहा मैदान में हैं। पवन सिंह के मैदान में उतरने की घोषणा से एनडीए के समक्ष थोड़ी परेशानी जैसी स्थिति खड़ी हो सकती है। काराकाट में महागठबंधन की ओर से भाकपा माले के राजाराम सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। पावर स्टार के नाम से प्रसिद्ध पवन सिंह ने अपनी उम्मीदवारी से मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। काराकाट सीट पर लोकसभा चुनाव 2024 के अंतिम सातवें चरण में 1 जून को मतदान होना है।
काराकाट क्षेत्र में हुए पिछले तीनों चुनावों में कुशवाहा जाति के उम्मीदवार ही सांसद चुने जाते रहे हैं। इसके पहले के संसदीय क्षेत्र बिक्रमगंज में आखिरी बार 2007 में उपचुनाव हुआ था, जिसमें स्वर्गीय अजीत सिंह की पत्नी मीना सिंह सांसद चुनी गयी थीं। नये परिसीमन के बाद की स्थिति नये परिसीमन के बाद काराकाट में कुशवंशी मतदाताओं की संख्या में अपेक्षाकृत वृद्धि होने के बाद भी सांसद चुने जाने में रघुवंशी (राजपूत) मतदाताओं की अहम भूमिका रही है। इस बार भी एनडीए व इंडिया महागठबंधन ने कुशवंशी उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। बताया जा रहा है कि पवन सिंह एनएडीए के वोट बैंक में अपनी हिस्सेदारी तय करेंगे। इससे उपेंद्र कुशवाहा का टेंशन बढ़ सकता है।
एनडीए ने रालोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा और इंडिया ने भाकपा माले के पूर्व विधायक राजाराम सिंह को यहां उतारने की घोषणा की है। पवन सिंह को वहां अपने ग्लैमर व्यक्तित्व के अलावा अपनी जाति के मतदाताओं से आस है। यही वजह है कि उन्होंने आरा के बदले काराकाट से उतरने की घोषणा की है।
पवन सिंह के समर्थक बताते हैं कि आरा में उन्हें स्पेस नहीं दिख रहा था। ऐसे में उन्हें काराकाट को सही माना। उनके चुनाव लड़ने की घोषणा सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। हालांकि यहां आखिरी चरण में एक जून को मतदान होना है। ऐसे में पवन सिंह अंतिम समय तक कितना प्रभावी रहेंगे, अभी स्पष्ट तौर पर कहना मुश्किल है। वैसे पवन सिंह की काराकाट इलाके में कोई विशेष सामाजिक या राजनीतिक गतिविधि नहीं रही है। वे आरा जिला मुख्यालय या अपने गांव भोजपुर के बड़हरा प्रखंड के जोकहरी ही आते-जाते रहे हैं।
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