बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुनौरा गांव में मां जानकी जन्मभूमि मंदिर है। इसे पुनौरा धाम के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि माता सीता का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। सीता जी के जन्म के कारण इस नगर का नाम पहले सीतामड़ई, फिर सीतामही और कालांतर में सीतामढ़ी पड़ा।
हिंदू पौराणिक कथाओं में सीतामढ़ी पवित्र स्थान है. इसका इतिहास त्रेता युग तक जाता है. कथा के अनुसार, जब राजा जनक बारिश के लिए भगवान इंद्र को मनाने के लिए सीतामढ़ी के पास खेत में हल चला रहे थे, तब भगवान राम की पत्नी सीता एक मिट्टी के बर्तन से जीवित हो गईं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राजा जनक खेत में हल चला रहे थे, उसी दौरान एक बक्से या कलश से उनका हल टकराया. उन्होंने उसे धरती से निकाला और खोला. उसमें एक कन्या शिशु थी, जिसका नाम सीता रखा गया. इस तरह से माता सीता की उत्पत्ति हुई थी।
सीतामढ़ी के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में से एक हलेश्वर स्थान है, ये भगवान शिव को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण मिथिला के राजा और देवी सीता के पिता जनक ने करवाया था. पुनौराधाम और हलेश्वर स्थान पटना, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा और मधुबनी के सबसे नजदीक है. इस स्थान तक पहुंचने के लिए भारत के शीर्ष शहरों से कई ट्रेनें उपलब्ध हैं. यह पटना हवाई अड्डे से 150 किमी और मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन से लगभग 60-70 किमी दूर है।
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